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परिवार की ख़ुशियाँ


दोस्तों कहीं आप भी तो......

एक रात सोते समय बेटे ने पिता से पूछा, “पापा, आप एक घंटा काम करके कितने रुपए कमाते हो?”

छोटे से बच्चे का सवाल सुनकर पिता ने हैरानी से पूछा, “क्यों पूछ रहे हो?”

“पापा प्लीज़, बताओ ना।” बेटे ने कहा।

“महीने के बीस यानी...।” पिता ने गणना करते हुए कहा, “लगभग सौ रुपए कमा लेता हूँ, क्यों?”

“पापा, मुझे पचास रुपए दीजिए ना, प्लीज़...।” बेटे ने मासूमियत के साथ याचना की।

“लगता है आज तेरा दिमाग़ ख़राब हो गया है।” पापा ने डाँटकर कहा, “उल्टे-सीधे सवाल पूछता है, क्या करेगा पचास रुपए का? जा, जाकर सो जा।”

बेटा रुआँसा होकर सो गया, लेकिन पिता की नींद उड़ गई। सारी रात सोचने के बाद भी पिता को इस पहेली का हल नहीं मिला कि बेटे ने यह सवाल पूछा क्यों और रुपए माँगे क्यों? आख़िर सुबह होते ही बेटे को जगाकर पिता ने पचास का नोट उसे दिया और कारण पूछा।

“पापा, मैं एक मिनट में आया...।” कहकर बेटा चला गया, और दौड़कर अपनी गुल्लक ले आया। गुल्लक को तोड़कर उसने अपने जमा किए हुए पैसे जोड़े, जो कि पचास रुपए थे। उसमें पिता के दिए हुए नोट को मिलाकर अपने नन्हें हाथों से बेटे ने सौ रुपए अपने पिता की हथेली पर रखकर कहा, “पापा, ये सौ रुपए हैं। आज अपना एक घंटा मेरे साथ बिताइए ना, प्लीज़।”

Welcome to परिवार की ख़ुशियाँ

कथा सार:

दोस्तों धन कमाने के चक्कर में हम कहीं इतने मशगूल तो नहीं हो गए कि हम अपने समय को बेचते समय यह भी भूल गए हैं, कि साथ में हमने अपने बच्चों का बचपन और परिवार की ख़ुशियाँ भी बेच दी हैं।


दोस्तों उम्मीद करता हूँ कि यह article आपको पसंद आया होगा , please कमेंट के द्वारा feedback जरूर दे। आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझाओं का स्वागत है , अगर आप मेरे आर्टिकल को पसन्द करते है तो जरूर Follow करे ताकि आपको तुरंत मेरे आर्टिकल आपको मिल जाए। 

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