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कड़वी बातें


दोस्तों जीवन में ऐसी बहुत सी बातें है जो हमें चुभ जाती है सुई की तरह लेकिन अगर हम सब उन बातों को ध्यान से सोचे और समझे तो वही बातें हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं , आज मै उन्ही कुछ बातों को लेकर आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ। 

"कड़वी बातें" 

Welcome to कड़वी बातें


मंजिलें भी जिद्दी हैं, रास्ते भी जिद्दी हैं,

झुकना है तो अपने भगवान और मां-बाप के आगे झुको क्योंकि जितना आप उनके आगे झूकोगे आप उतना ही जीवन में सफलता पाओगे 

चलो हंसने की कोई, हम वजह ढूंढते हैं
बहुत उड़ लिए ऊंचे आसमानों में यारो

छूटा संग कितनों का ज़िंदगी की जंग में
चलो उनके दिलों की, हम गिरह ढूंढते हैं 
बहुत वक़्त गुज़रा भटकते हुए अंधेरों में
चलो अँधेरी रात की, हम सुबह ढूंढते हैं 


कोई गिरने में राजी
तो कोई गिराने में राजी
मगर

जो गिरकर सम्भल जाये

वही जीतता है बाजी 

लाख दलदल हो,
पाँव जमाए रखिये;
हाथ खाली ही सही,

ऊपर उठाये रखिये;

कौन कहता है छलनी में,
पानी रुक नहीं सकता;
बर्फ बनने तक,
हौसला बनाये रखिये।
किसी ने पूछा कि क्या आप लिखतें हैं…
मैंने कहा, हाँ कभी कभी..
जब दिल की बात बोल नहीं पाता..
तब उसे कागज़ पर उतार लेता हूँ..
क्योंकि कुछ लोग सुन नहीं पाते…
मगर पढ़ना जानते हैं… 


बात छोटी है पर समझने लायक है,..!!*


गिरने के बाद भी उठता हूँ
ये इरादा नहीं …तो क्या है,
उठकर फिर से चलता हूँ

ये कोशिश नहीं ..तो क्या है,

चलते चलते मुस्कुराता हूँ
ये उत्साह नहीं… तो क्या है,
आँसू को पी जाता हूँ
ये जुनून नहीं …तो क्या है,
लगातार गिरता हूँ
ये परीक्षा नहीं ..तो क्या है,
फिर भी आगे बढ़ता हूँ
ये Success नहीं …तो क्या है,
कभी मायूस नहीं होता
ये उम्मीद नहीं …तो क्या है| 

आज कल लिखा होता है,
“आप कैमरे की नज़र में है”


हर तकलीफ को ताक़त बना देते हैं… 

तरक्की की तेज़ रफ़्तार में भी
बूढ़े माँ बाप को समय ज़रूर दो
ऐसा ना हो कल तुम्हारे पास

समय हो पर माँ बाप ना हों 

किसने कहा रिश्ते मुफ़्त मिलते है,
मुफ़्त तो हवा भी नहीं मिलती !
एक साँस भी तब आती है,

जब एक साँस छोड़ी जाती है ! 
Welcome to कड़वी बातें



मुश्किल वक़्त का सबसे बड़ा सहारा है-
‘ उम्मीद ‘ !!
जो एक प्यारी सी ‘मुस्कान’ देकर…

कानों में धीरे से कहती है-

” सब अच्छा होगा !! “ 

मुश्किल कोई आ जाए,
मर मर के जीने से क्या होगा … 


जैसे जैसे सभी की  उम्र बढ़ती गयी , समझ आती  गई कि अगर मैं Rs. 5 000 की घड़ी पहनू या Rs.5 0000 की दोनों  समय एक जैसा ही बताएंगी ..

मेरे पास Rs.4000 का बैग हो या Rs. 60000 का, इसके अंदर के सामान मे कोई परिवर्तन नहीं होंगा। 

मैं 500 गज के मकान में रहूं या 8000 गज के मकान में, तन्हाई का एहसास एक जैसा ही होगा। 




नहीं दोस्तों  !!!_ 


विकल्प बहुत मिलेंगे,
मार्ग भटकाने के लिए।
संकल्प एक ही रखना,

मंजिल तक जाने के लिए। 

कड़वी बात है लेकिन सच है
जब तक उन्हें कोई दूसरा नहीं मिल जाता. 


बहुत ही अच्छी और सच्ची बात
परेड में पीछे मुड़ बोलते ही
पहला आदमी आखरी और आखरी आदमी पहले

नंबर पर आ जाता है!

जीवन में कभी आगे होने का घमंड
और आखिरी होने का गम न करे,
पता नहीं कब जिंदगी बोल दे
" पीछे मुड़"


इंसान में सबसे कड़वी चीज इंसान की जुबान है , दारु और करेला तो खामखा बदनाम है।  


दोस्तों आपसे उम्मीद करता हूँ कि यह article आपको पसंद आया होगा , please कमेंट के द्वारा feedback जरूर दे। 

आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझाओं का स्वागत है , कृपया share करे और जुड़े रहने के  लिए Follow जरूर करे ताकि आपको जब भी हम कोई आलेख लिखे आपको तुरंत मिल जाए।



धन्यवाद 


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