दोस्तों मैं तो स्वयं की कभी तुलना नही करता ,क्योंकि तुलना का प्रभाव हमेशा ही गलत होता हैं।
अगर आप स्वयं को अच्छी स्थिति में देखना चाहते हो तो बस अपने क्षेत्र में प्रयास करते रहो ,अपना कर्म करो ,और आगे बढ़ते रहो ।
तुलना करना भी बेकार हैं क्योंकि यहां हर इंसान अलग हैं ,उसकी यात्रा अलग है,उसकी परिस्थितियाँ अलग हैं और तुलना तो केबल बराबर में ही हो सकती हैं।
दोस्तों इस दुनिया में कोई भी दो व्यक्ति या वस्तुएं एक समान नहीं हैं.
प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक वस्तु अद्वितीय है.
सृष्टि में जब कोई दो व्यक्ति एक से हैं ही नहीं तो फिर किसी से किसी की तुलना कैसे की जा सकती है.
ऐसा बहुत बार हुआ है मेरे जीवन में कि मुझे मुझसे अधिक काबिल व्यक्ति मिले हैं। मैं भी दूसरों के साथ स्वयं की तुलना करता हूं। यह एक स्वाभाविक वृत्ति है। परंतु इस वृत्ति का उपयोग मैं स्वयं को प्रेरित और उत्साह से ओतप्रोत करने के लिए करता हूं।
दोस्तों ज्यादातर लोग इसलिए दुखी नहीं होते, क्योंकि उनके पास किसी चीज की कमी होती है। वे दुखी इसलिए होते हैं क्योंकि वे खुद की तुलना किसी और से करते हैं।
दोस्तों अकसर हमने माता पिता को बच्चों से यह कहते सुना होगा कि "तुम खुद को देखो और उस बच्चे को देखो, कितना अच्छा है वह"
दुसरो के साथ खुद की तुलना करना उतना ही सही है जितना एप्पल की तुलना मेंगो से करना..
स्वयं को तुलना कैसे रोकूं :
जीवन के मुक्ताकाश में स्वतंत्र गतिमान रहिए और नए कीर्तिमान बनाए, सदैव कल जो थे उससे बेहतर और विकसित संस्करण अपना बनाइए।
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