दोस्तों कुछ नही मिलता दुनिया में मेहनत के बगैर मेरा अपना साया मुझे धूप में आने के बाद मिलायह दुनिया बिलकुल वैसी ही है जैसे आप देखना चाहते हैं , चाहे तो कीचड़ में कमल देख लो चाहे देख लो चाँद पर दाग

मेहनत और समझदारी से किस्मत के प्रभाव को बदला जा सकता है |
दोस्तों किस्मत या भाग्य केवल परिस्थितियों का नाम होता है, अपना भविष्य हम अपने कर्मों द्वारा ही बना या बिगाड़ सकते हैं |
आदिकाल से हमारे यहाँ ज्योतिष विद्या का उपयोग केवल इसी लिए किया जाता है, ताकि आने वाले समय के बारे में जान कर हम उसके अनुसार अपने कर्मों को दिशा दे सकें |
यदि भाग्य में जो लिखा है, वही होना है, तो भविष्य जान कर हम क्या कर सकते हैं ?
उदाहरण : यदि हवा की दिशा का ज्ञान हो, तो एक नाविक उसकी दिशा का उपयोग करके न्यूनतम प्रयासों से अधिकतम गति से नौका चला सकता है |
ज्ञानी नाविक तूफ़ान के बारे में पहले से जानकारी होने पर किनारे पर बैठ कर इंतज़ार करेगा, समुद्र में नहीं जाएगा |
मेरे विचार में सिर्फ कड़ी मेहनत से किस्मत बदलना संभव नहीं है. किस्मत बदलने के लिए कड़ी मेहनत के साथ कई अन्य बातें भी आवश्यक होती है जैसे आप के निर्णय, प्रतिभा,आपकी विजन, आपका डिसीप्लिन, आपका सोचने का तरीका आदि आदि
यदि सिर्फ कड़ी मेहनत से किस्मत बदली जा सकती तो कोई भी मजदूर आज दुनिया में गरीब नहीं होता.कड़ी मेहनत तो चीटियां भी करती है परंतु वह कहां तक पहुंचती है?
दोस्तों जरा सोचिए यदि आपको आलू की सब्जी बनानी हो तो सिर्फ आलू से ही आप सब्जी नहीं बना सकते इसके लिए आपको कई अन्य चीजों की आवश्यकता भी होती है जैसे मसाले,पानी, बनाने हेतु बर्तन, गैस आदि अन्य चीजें भी आवश्यक होती है पर यह तय बातें की बिना आलू के आलू की सब्जी नहीं बनाई जा सकती इसी तरह किसी मकान को बनाने के लिए ईंटें सबसे आवश्यक होती है पर सिर्फ ईटों से ही मकान नहीं बनाया जा सकता।
दोस्तों आजकल के इस गतिमान युग में कड़ी मेहनत या सिर्फ हार्ड वर्क से बहुत कुछ प्राप्त नहीं किया जा सकता इसके बजाय स्मार्टवर्क करना ज्यादा जरूरी है परंतु स्मार्ट वर्क करना सीखने के लिए पहले हार्ड वर्क करना जरूरी होता है। नीचे मैंने कुछ कोटेशन दिए हैं जिनसे आपको हार्ड वर्क और स्मार्ट वर्क में अंतर ज्यादा अच्छे से समझ में आ जाएगा।
मेहनत ही बड़ी है. किस्मत को हम बड़ी इसीलिए नही कहेगे, क्योंकि तीन बाते ध्यान रखनी है… एक कार्य, दूसरा कार्य का बीज, तीसरा परिणाम अर्थात किस्मत, तीनो के लिए भी मेहनत है… कभी कभी आपने जरुर सोचा होगा. एक व्यक्ति अमीर एक गरीब क्यों है?
ये किस्मत नही है, ये मेहनत है. अब आप सोचेगे मेहनत कैसी? एक गरीब जो ८ घंटे जी तोड़ मेहनत करता है. दिन में केवल ५०० कमा लेता, वोही एक ऑफिस में एयरकंडीशनर के निचे बैठा व्यक्ति उतने ही समय में लाखो कमा देता. कुछ इसे किस्मत से जोड़ेगे, लेकिन ये किस्मत नही है…
दोस्तों मान ले एक प्ले चला है. उस प्ले में १० एक्टर है. तो क्या सभी अमीर आदमी के रोल में होगे? कुछ गरीब होगे, कुछ अमीर होगे, ठीक वैसे ही इस बेहद के प्ले में भी, अलग अलग रोल सभी को मिले है. लेकिन रोल कैसे चुने जाते है? रोल व्यक्ति के स्वभाव, व्यक्ति के कर्मो, के हिसाब से उसे मिलते है।
मान ले इस जन्म हमने अपने संस्कार, स्वभाव, और अपने जीवन को अच्छा बना लिया, तो अगले जन्म जरुर हमे बेहतर रोल मिलेगा, क्योंकि जैसे हम परिवर्तन करते, वैसा हमारा रोल बन जाता। जो लोग आकर्षण के नियम को मानते है, वोसमझते है, आपको वो ही मिलता है जो आप सोचते है।
आपको वोही मिलता, जो आपके स्वभाव है. संस्कार है, और कर्म है. इन तीनो को जोड़कर तय होता. हम एक बोरी उठायेगे, या फाइव स्टार होटल में डिनर करेगे। बोरी वो लोग उठाते, जिनके कर्म एकदम निचले दर्जे के होते. इश्वर उन्हें फिर उसी अनुसार कर्म का फल देता। परन्तु इसमें दो चीज़े भी ध्यान रखनी है.
आत्मा जब नीचे गिरती अर्थात पतित बनती है, तो उसकी बेट्री डिस्चार्ज होने लगती, जिस कारण उसमे उतनी समज नही रहती, उस वजह से उसके कर्म उसी अनुसार बनते है। ये भी इस खेल का नियम है. जो आदि में सबसे ऊँचा होगा, वो अंत में सबसे निचा होगा, अर्थात पतित होगा।
लेकिन पतित होकर भी अमीर है, गरीब है, इसका फैसला कर्म ही हर जन्म में करते है। आदि में हमारे ऊँचे कर्म हमे ऊँचा बनाते, जैसे आज हम शुभ कर्म करते, तो जरुर अगले जन्म हम अच्छा जन्म पाते. ज्ञान सुनते, ज्ञान प्राप्त करते. तो अगले जन्म वो ज्ञान हमारी परालब्ध बन जाता. इस जन्म भले हम गरीब है।
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