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अपने अंदर के डर (Fear ) से कैसे जीतें


दोस्तों डर मात्र एक ‘विचार’ है। ‘ऐसा हो गया तो… कहीं ऐसा न हो जाए… कहीं मैं मर न जाऊँ… मैं इंटरव्यू में फेल हो गया तो… पेपर लिखते वक्त मुझे जवाब याद नहीं आए तो…’ डर के एक विचार से इंसान ऐसा चित्र बना डालता है, जहाँ वह इस एक विचार को फलते-फुलते देखता है और  कोई अपने बीमार रिश्तेदार से मिलने अस्पताल में चला गया। रिश्तेदार की बीमारी के लक्षण जान लिए और वह सोचने लगा कि ‘ये लक्षण तो मुझमें भी हैं। इसका अर्थ मुझे भी यह बीमारी है क्या?’ यह विचार आते ही वह डर गया। ऐसे में विचारों के प्रति अपनी सजगता बढ़ाते रहना और डर के विचारों का अच्छे तरीके से इस्तेमाल करना, यही डर पर शिकस्त पाने का उत्तम तरीका है।
नमस्कार दोस्तों LifeWithAshish में आपका  स्वागत है , आपका भरपूर सहयोग मिल रहा है इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

आज मै एक नए टॉपिक पर लिखने जा रहा हूँ , जिसका नाम है



 "अपने अंदर के डर (Fear ) से कैसे  जीतें "



Welcome to अपने अंदर के डर (Fear ) से कैसे  जीतें
दोस्तों अगर आपसे पूछा जाए कि आप लोगो के अंदर कौन कौन से है, तो अधिकतर लोग हर type के डर  बताने लगेंगे , इनमे से कुछ मै आपको बता रहा हूँ ,


डर दो type के होते है , psychological डर और दूसरा physical डर   


 Psychological डर : 


दोस्तों कभी कभी जीवन में ऐसे मोड़ आते है की आप और आपका डर आमने सामने आ जाता है और आपको पता ही नहीं चलता है और  सोचते है कि अब मै क्या करूँ , एक दूसरे Type का डर कि कोई situation नहीं हैं आपकी life में  मतलब Safe environment में कोई आप ऐसा काम करो की आप डर जाओ जैसे  आपको पानी  से डर  लगता है, बाढ़ आ गयी और आप उस समय तैरना  सीख रहे हो।


इसका मतलब यही हुआ है कि दोस्तों कि डर की वजह से मै सबके सामने बेवकूफ ना लगने लगू , लोग मुझ पर हँसेंगे और मजाक उड़ाएंगे।


दोस्तों इससे निकलने का एक ही उपाय है कभी कभी आप जान बूझ कर बेवकूफो वाली हरकत करो , हमेशा उसी का मजाक उड़ाया जाता है जो जल्दी बुरा मान जाता हो कियोंकि उसके अंदर डर  है।


जिसके अंदर डर है ही नहीं उसका कोई मजाक नहीं उडाता है क्योंकि उसके अंदर actual डर है ही नहीं।

दोस्तों अगर हम लोग अपनी कमजोरी को हल्का -फुल्का लेने लगे तो अगर जीवन में उस कमजोरी की कोई situation आती भी है तो उस समय आप घबराएंगे नहीं, मतलब उस situation में आप हंस रहे होंगे।

दोस्तों कभी भी आपको serious नहीं लेना है अपनी कमजोरियों के प्रति नहीं तो आप खुद ही कई समस्याओं से गुजरना पड़ेगा मतलब आपको बेवकूफ कहना लोग शुरू कर देंगे आप कही से जा रहे होंगे तो लोग कहेंगे कि वो बेवकूफ जा रहा है।


दोस्तों बेवकूफ के दो type होते हैं , "बेवकूफ ही हूँ" , और "बेवकूफ भी हूँ"। दोनों में बहुत फर्क होता है।


अगर कोई आपसे कहे इस STAGE पर आके 10 मिनट के लिए किसी टॉपिक पैर बोलो , 80 % लोग मन करेंगे क्योंकि उनके अंदर डर है अगर मै STAGE पर गया और न बोल पाया तो लोग मुझ पर हँसेंगे और बाद में मजाक उड़ाएंगे और बेवकूफ भी बोलेंगे।


दूसरी तरफ 20 % लोग जो बोलने के लिए तैयार थे वो भी इंसान ही है न ही भगवन ने अलग से कोई शक्ति दी है जो आपको न दी है , वे लोग अंदर से मजबूत होते हैं , यही ही लोग कुछ अलग काम करते है और सफलता को प्राप्त कर लेते है , क्योंकि डर इनके अंदर रहता ही नहीं है।


Physical डर :


आर्थिक स्थिति का डर ( Fear ऑफ़ Financial ):


दोस्तों अगर आप कही आप नई नौकरी के लिए बाहर गए हो और लम्बे समय तक आपको नौकरी नहीं लगी है और हर महीने आप घर से धन ( Money )  ले रहे हो  और घर वाले भी आपसे  है।


अगर आप कोई नया business शुरू करने जा रहे हो और आप लंबे समय बाद अनुमान लगाते है business में नुक्सान हो रहा है।


मतलब कोई भी नयी चीज कोशिश करते है तो वह risk तो होता ही है। अगर एक बार नुकसान हुआ था  अगली बार हो भी सकता है नुक्सान ये डर तो लगा ही रहता है।


दोस्तों आपको कभी कभी लगता होगा कि अगर हम घर से बाहर जाएंगे तो risk रहेगा और अगर घर पर ही रहे तो risk नहीं होगा , मगर ऐसा नहीं होता है risk हर जगह रहता है, वो risk हमको दिखता नहीं है पर  रहता है कही न कहीं।


आप जीवन में आगे बढ़ना चाहने की कोशिश करते  कही कहीं money की जरूरत  तो पड़ती है अगर money का इंतजाम नहीं हो पता है तो हमारे अंदर डर आ जाता है और हम उस काम से डरने लगते है।


जीवन में दो type के लोग होते हैं , एक जिनका परिवार अमीर होता है या उनकी कोई पैतृक सम्पति होती है।

 जो रोटी , कपडा और मकान आसानी से प्राप्त कर लेते हैं और दूसरी तरफ वे लोग होते हैं, जिनको सिर्फ अपनी मेहनत से सब कुछ हांसिल करना होता है, उनके पास न तो कोई पैतृक सम्पति होती है और न उनका परिवार अमीर होता है।  वे लोग अपना रोटी , कपडा और माकन खुद हाशिल करते है अपनी मेहनत से मतलब finacial स्थिति कमजोर रहती है और वो लोन ले लेते है बैंक से और लोन से वो इतना परेशान हो जाते हैं, कि उनके अंदर डर बैठ जाता है।  सुबह से शाम तक OFFICE में रहते है और महीने के बाद सैलरी आती है और  वो सोचते है हर महीने जो कमा रहे है उसमे तो कुछ लोन की EMI देने में लग जाता है।   जीवन EMI-EMI हो जाता है।  वो सोचता है अगर मेरी नौकरी छूट गयी तो EMI कौन देगा और हर महीने का खर्चा कैसे चलेगा। वो सोचता है जो खर्चे FIX है हर महीने वो तो खर्च होने ही है। फिर धीरे धीरे  उसके अंदर डर समा जाता है।

डर दूर  करने के उपाए :


दोस्तों डर को तुरंत दूर नहीं किया जा सकता है , मतलब कोई इसकी short trick नहीं है। इसको आप धीरे धीरे दूर करो मतलब अपने अंदर ये भावना रखो कि अगर मै कोई काम करूँगा और लोग मुझे बेवकूफ भी बोलेंगे तो बोलने दो। लोगो को मत देखो अपने अंदर confidence रखो , आपको हर situation को हंस हंस कर लेना है , सीरियस से नहीं लेना है।


दोस्तों किसी भी नए  काम को करने से पहले डर लगा रहता है की इसमें मै SUCCESS हूँगा कि नहीं अगर FAIL हो गया तो आगे फिर से क्या करेंगे।


दोस्तों कहने और करने में बहुत अंतर होता है। जीवन में कुछ ऐसे भी लोग मिल जाते है की लोग अपनी नौकरी छोड़ कर BUSINESS करने लगते है क्योंकि नौकरी में FIX सैलरी होती है और BUSINESSS में जितना मेहनत करेंगे उतना कमाएंगे।  नौकरी वाले लोग हमेशा दूसरे लोगो को देखते रहते है की वो BUSINESSS में बहुत कमा रहा है और सोचते है की क्यों न मै भी BUSINESS करूँ, और वो नौकरी को कुर्बानी दे देते हैं।


जब वो BUSINESS करने लगते है और लम्बे समय बाद जब BUSINESS नहीं चलता है है तो कभी कभी सोचता है की वो नौकरी ही अच्छी  थी ,कम से कम FIX SALARY तो आती थी।


दोस्तों यहाँ पर उस व्यक्ति ने RISK लिया नौकरी छोड़ के BUSINESS करने के लिए तैयार हो गया क्योंकि वो सोच रहा था की BUSINESS करने से वो ज्यादा MONEY कमा सकता है।


जब वो BUSINESS के करीब गया और उसको बाद में अनुभव हुआ कि नौकरी ही सही थी।


दोस्तों जीवन में भी CALCULATED RISK लेना ही चाहिए क्योंकि  RISK लोगे तो तभी ही आप कुछ नया सीखोगे अगर आप कुछ करोगे ही नहीं तो आप कुछ भी नहीं कर पाओगे।


दोस्तों सबसे पहले अपने आपको बहुत मजबूत बनाना पडेगा ,जो ये सोचना  कि हमने जो पिछली बार गलतियां की थी वो इस बार नहीं करेंगे , आप एक एक जगह  लिख ले जो हमने गल्यायन की थी इससे आपको इस बार याद रहेगा कि मैंने  गलतियां की थी।


पिछली बार अगर हम किसी के भरोशे बाहर गए थे , और उसके धोखा दिया था सही समय पर तो इस समस्या से आप आपने आपको  दूर कर ले मतलब इस बार किसी के ऊपर भरोषा नहीं करना हो जो भी करना  अपने आप करना है , आप  जाने से पहले सारी  Pre -Planning कर ले कि वहां कौन कौन सी समस्यांए  आएंगी। और उसके पहले से उपाए कर लेना है।  अगर हम बहार गए और वहां सफलता नहीं मिली तो हम घर वापस नहीं आएंगे जैसा कि हम पिछली बार आ गए थे , अगर एक situation में fail हो गए तो दूसरा  option करने के लिए तैयार रखे मतलब इस बार हम घर से पैसे नहीं लेंगे जैसा की पिछली बार ले रहे  थे. अगर आप एक situation में फेल हो गए तो , घबराए नहीं और सोचे यह नहीं मिला तो ये तो कर ही लेंगे। मतलब कुछ न कुछ कर ही लेंगे। दूसरों के सामने हाथ नहीं फैलाएंगे।


दोस्तों अपने ऊपर विस्वास रखे दूसरे के ऊपर मत रखे ,लगभग 95 % लोग सिर्फ अपने ही बारे में सोचते है , दूसरे के बारे में नहीं सोचते है। दूसरा कभी भी नहीं चाहेगा की मुझसे आगे बढ़ जाओ।  अगर मै बर्बाद हुआ हूँ तो ये भी हो जाए , यही सोचता रहता है। यही जीवन का सच है। जब यह सच्चाई जान लोगे तुम कभी भी दुसरो से धोखा नहीं खाओगे।  कभी भी किसी से उम्मीद नहीं रखना चाहिए क्योंकि जब उम्मीद टूतती  है तो बहुत दर्द होता है। मै यह नहीं कहता हूँ , कि किसी से उम्मीद मत रखो, अमेरा मतलब है अगर आप किसी से उम्मीद रखे हैं और उस व्यक्ति ने आपकी उम्मीद को तोड़ दिया है तो आप अंदर से न टूटे , अगर जिससे आप उम्मीद रखे अगर उस व्यक्ति ने आपके सारी  उम्मीदों को कर दिया तो आप भगवान् को धन्यवाद दे।

Welcome to अपने अंदर के डर (Fear ) से कैसे  जीतें



दोस्तों आपसे अपील है कि , मेरी बातो पर सही से  सोचियेगा ,जरूर अगले ब्लॉग में फिर मिलेंगे, एक नए टॉपिक पर,  तब तक के लिए हंसते -रहिए ,हँसते – रहिए ,जीवन अनमोल है, मुस्कुराते रहिए ! 

धन्यवाद 


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