दोस्तों जीवन में अनेक घटनाये घटित होती है जो ज्यादातर असफलता या सफलता के बीच की होती है और अक्सर असफलता मिलने पर लोग खुद को दुसरो के मुकाबले कम आकने लगते है यानी वे अपने ही नजर में खुद की Value को कम समझते है और फिर ऐसी स्थिति में दिमाग Negative Thinking की ओर जाने लगता है लेकिन क्या आपने सोचा है जिस इन्सान को ईश्वर ने बनाया है उसकी Value भला कैसे कम हो सकती है एक सफलता या असफलता से पूरे जीवन के पैमाने तो नही लिखे जा सकते है तो चलिए इसी सोच पर एक छोटी सी अच्छी लेख यहाँ लिखने जा रहा हूँ।
"खुद को किसी से कम मत समझो"
आपको गर्ल फ्रेंड नहीं मिली है और वही गर्ल फ्रेंड किसी दूसरे को मिल गयी हो जो आपसे अच्छा न हो, आपसे गैर गुजरा है , तब हमारे अंदर Inferiority Complex की भावना उत्पन्न हो जाती है।
एक दूसरे से तुलना करना ही Inferiority Complex है।
Inferiority Complex क्या है : हीन भावना
दोस्तों जब हम किसी को देखते हैं जो हमसे बड़ा हो , look wise better, money wise better , आदि हो , तब हमे जलन , insecurity की feeling आ जाती है।
दोस्तों जब हम किसी को देखते हैं जो हमसे बड़ा हो , look wise better, money wise better , आदि हो , तब हमे जलन , insecurity की feeling आ जाती है।
तुलना करना भी दो type के होते हैं।
(1 ) Reality
(2 ) Virtual Reality
Reality : Reality वह है जो actual में real है और जो real भी लग रहा हो
तो दोस्तों Virtual Reality के पीछे मत भागो जो कि असली दुनिया नहीं है। अगर आपके FACEBOOK में 800 Friend हैं तो क्या ये आपके 800 real friend hai. अब आप सोच रहे होंगे हाँ नहीं हैं Real me. यही Virtual Reality है।
Example:
घर में तुलना kerna. जानवर के case me ( असली दुनिया ) , Nature को observe करना
Virtual Reality: Virtual Reality वह है जो actual में real नहीं है, जो real लग रहा है। we are all surrounded with Virtual Reality.
Example : Social Media Life ( नकली दुनिया )
यदि आपको जीवन मे कुछ बड़ा करना है या नाम कमाना है तो सबसे पहले अपनी सही कीमत जानिए।
यदि आप ही अपनी सही कीमत नही जानेंगे तो दुनिया आपकी अहमियत कैसे समझ पाएंगें ?
खुद के लिए जौहरी बन जाइए क्योंकि हीरे की सही कीमत का अंदाजा तो सिर्फ जौहरी ही लगा सकता है।
हीन भावना का जन्म तब होता है जब हम बाहरी व्यक्ति पर अपने को अच्छा समझे जाने, स्वीकार किये जाने की अपेक्षा रखते हैं| जब ये अपेक्षा खत्म हो जायेगी तो हीन भावना अपने आप खत्म हो जायेगी। इसके लिए आप को समझना होगा कि हम सब एक मोह माया जाल में घूम रहे हैं, आज जिसके पीछे हम भाग रहे हैं वो किसी और के पीछे भाग रहा है। कहने का मतलब ये है कि जिसे हम आत्मविश्वास से भरा समझ रहे हैं कहीं पर वो भी कमजोर है। सबसे खास बात ये है कि ये बस एक यात्रा ही तो है, जिसे भरपूर ख़ुशी के साथ जीना है ना आगे की चिंता में न पीछे की याद में। हीनभावना से ग्रसित होकर हम इस अनमोल यात्रा का आनंद क्यों खोएं इसलिए हीन भावना से निकल कर यात्रा का आनंद लेना है तो गुनगुनाना होगा …तुम्हारी भी जय-जय, हमारी भी जय-जय
जिन्दगी में कभी ना कभी आपके साथ भी ऐसा ज़रूर हुआ होगा कि आप असफल हुए होंगे और आपको लगता होगा कि आपका इस दुनिया में होना ना होनाअच्छा ही है।
दोस्तों नीचे 3 बातों को हमेशा ध्यान में रखो
आपको खुद का वजूद बनाना सीखना है।
आपको खुद को समझना सीखना है।
आपको खुद को बदलना सीखना है।
हम अपने जीवन मे कई महत्वपूर्ण मौके सिर्फ अपनी काबिलियत पर संदेह करने की वजह से ही गवाँ देते है जबकि असलियत ये है कि हम जितना सोचते है उससे कही ज्यादा कर सकते है।
तुलना , तनाव को भी जन्म देती है क्योंकि आत्मविश्वास की कमी के कारण आप खुद को कमतर समझने लगते है और हीनभावना का शिकार हो जाते हैं।इस दुनिया में हम कई बार असफल होते हैं। इसलिए घबराईये मत क्योंकि दूसरा फील्ड आपका बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है।
भगवान ने हर किसी को काबिलियत दी है कि वो कुछ कर सके। बस आप अपनी काबिलियत को पहचानिए और फिर देखिए, आपका जीवन सफल कैसे होता है।
दोस्तों अगर आपका आत्मविश्वास कम है तो इसका साफ़ मतलब है कि आप को आप की खूबियों की पहचान नहीं है। आप अपने को दूसरों से कम समझते हैं, इसीलिए हीन भावना का शिकार रहते हैं।
हीन भावना से कैसे करे खुद को मुक्त :
(1) अपनी बॉडी लेंगुएज पर ध्यान दें:
हमारा शरीर हमसे ज्यादा बोलता है, या यूँ कहें कि ये, वो सब बोल देता है जो हम नहीं बोलना चाहते जब
किसी से मिलने जाए तो अपनी बॉडी लेंगुएज द्वारा अपना कम आत्मविश्वास प्रकट न होने दें ध्यान रखे.
(2 ) नाख़ून न कुतरे
(3 ) हाथ पर हाथ न रगडें
(4 ) बातों में हकलाहट न हो
(5 ) सर झुका कर बात न करें
(6 ) बहुत ज्यादा बोल कर या बिना वजह हंस कर अपनी हीन भावना छुपाने का प्रयास न करें।
(7 ) माना कि आप को लग रहा है कि आज आप उनसे बहुत कम हैं , पर अतीत में कभी आप उनके बराबर या आगे भी रहे होंगे।
(8 ) अगर आप का आत्मविश्वास स्त्री, किसी विशेष धर्म, जाति या समुदाय का होने के कारण बहुत कम है तो अपने करेक्टर से बाहर निकलिए।
(9 ) थोड़ी देर के लिए किसी दूसरे करेक्टर में घुस जाइए
(10 ) ये तो आपने पढ़ा ही होगा कि ये जीवन एक नाटक है और हम सब इसके पात्र है। अब इसे आप हकीकत बना दीजिये। दोस्तों कहने का मतलब ये है कि आप एक पात्र है जो अपना करेक्टर प्ले कर कर रहे हैं ये वो करेक्टर है जिसका आत्मविश्वास बहुत कम है इसके अन्दर हीन भावना है इस कारण ये पात्र किसी से मिलना नहीं चाहता अब थोड़ी देर के लिए मान लीजिये की आप वो होते जो आप बनने की कल्पना करते हैं आप सोंच लीजिये कि आप वो है। आप कोई काल्पनिक फिक्शनल करेक्टर भी ले सकते हैं वो जो आप को बहुत पसंद हो आप थोड़ी देर के लिए अनुभव करिए कि आप वो हैं ऐसा मेंटल लेवल पर करिए जब आप उस पात्र में घुस जायेंगे तो आप का आत्मविश्वास बढ़ जाएगा तब आप आसानी से उस व्यक्ति से बात कर पायेंगे जिससे बात करने से आप डर रहे थ ये केवल एक मेंटल बूस्ट अप है। जो आपको उस परिस्थिति में बहुत साथ देगा।
(11 ) अपने करेक्टर से बाहर निकले
दोस्तों आदर्शवाद को कभी भी प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इस संसार में आदर्शवाद का अस्तित्व केवल मन के उच्च स्तर पर है।
अगर आप स्त्री हैं या पुरुष है और किसी छोटे शहर से हैं, तो आपने, औरतें ये नहीं कर सकती, वो नहीं कर सकती
उदहारण :
मैं अपनी सहेलियों के साथ टीचर बनना चाहती थी। पर कुछ तैयारी में कमी, जानकारी में कमी रही होगी कि उन सब का चयन हो गया पर मेरा नहीं। उसके बाद मेरा विवाह हो गया। फिर तो घर गृहस्थी में ऐसी फँसी की कुछ और सुध ही न रही। समय की कमी के कारण सहेलियों से बातचीत भी बहुत कम हो गयी। धीरे-धीरे वो सब दूर होती गयीं। बच्चे बड़े हुए फुरसत मिली तो सोंचा अब कुछ अपने लिए किया जाए। स्कूल तलाश करने लगी, और मैं नर्सरी में टीचर। मन बहुत दुविधा में था, एक तरफ जहाँ बचपन की सहेलियों से मिलने की ख़ुशी थी वहीँ अपने लिए हीन भावना।
दोस्तों ऊपर जो लिखा है उदहारण उससे क्या शिक्षा मिलती है जरा सोचियेगा।
दोस्तों अंत में आप सभी लोगो से यहीं कहूंगा कि आज से ही अपने मन मे ठान लीजिए कि चाहे जो हो जाए आप न तो किसी से अपनी तुलना करेंगे और न ही खुद को किसी से कम समझेंगे। आत्मविश्वास से आगे बढ़ो खुद को कमजोर मत समझो। इसलिए मैं आपसे कहता हूँ कि कभी भी अपने आप को बेकार या हीन मत समझो। काम कुछ ऐसा करो कि कामयाबी खुद पीछे-पीछे दौड़ी चली आए।
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