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Showing posts from September, 2020

जिंदगी में अपनी तुलना किसी से मत करना |

दोस्तों दूसरों के साथ स्वयं की तुलना करना मनुष्य का सहज स्वभाव है। ना चाहते हुए भी अक्सर दूसरों के साथ उनकी तुलना करने के विचार मन में आ ही जाते हैं।  दोस्तों मैं तो स्वयं की कभी तुलना नही करता  ,क्योंकि तुलना का प्रभाव हमेशा ही गलत होता हैं।  अगर आप स्वयं को अच्छी स्थिति में देखना चाहते हो तो बस अपने क्षेत्र में प्रयास करते रहो ,अपना कर्म करो ,और आगे बढ़ते रहो । तुलना करना भी बेकार हैं क्योंकि यहां हर इंसान अलग हैं ,उसकी यात्रा अलग है,उसकी परिस्थितियाँ अलग हैं और तुलना तो केबल बराबर में ही हो सकती हैं।  दोस्तों इस दुनिया में कोई भी दो व्यक्ति या वस्तुएं एक समान नहीं हैं. प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक वस्तु अद्वितीय है. सृष्टि में जब कोई दो व्यक्ति एक से हैं ही नहीं तो फिर किसी से किसी की तुलना कैसे की जा सकती है. ऐसा बहुत बार हुआ है मेरे जीवन में कि मुझे मुझसे अधिक काबिल व्यक्ति मिले हैं।  मैं भी दूसरों के साथ स्वयं की तुलना करता हूं। यह एक स्वाभाविक वृत्ति है। परंतु इस वृत्ति का उपयोग मैं स्वयं को प्रेरित और उत्साह से ओतप्रोत करने के लिए करता हूं।    दोस्तों ज्यादातर लोग इसलिए दुखी नहीं

जीवन एक संघर्ष है

1. संघर्ष क्या है-  संघर्ष किसी अन्य व्यक्ति अथवा व्यक्तियों की इच्छा का जानबूझकर विरोध करने अथवा उसे शक्ति से पूर्ण कराने से सम्बन्धित प्रयत्न है। संघर्ष प्रतिकूलता के पश्चात प्रारम्भ होता है। स्वार्थपरता बढ़ने से व्यक्ति दूसरे को हानि पहुंचाने लगता है। इसके विरोध में दूसरा व्यक्ति अपनी रक्षा करने का प्रयत्न करता है और उसको हानि पहुंचाने से रोकता है। जिससे मनोवैज्ञानिक स्तर पर संघर्ष की रूपरेखा बनती है तथा अवसर आने पर प्रत्यक्ष संघर्ष होने लगता है। 'जीवन संघर्षमय है इससे घबराकर थमना नही चाहिए' संघर्ष मनुष्य को मज़बूत बनाता है , संघर्ष से मनुष्य को कभी नहीं डरना चाहिए।    हिम्मत रखकर हमेशा आगे बढ़ना चाहिए।  संघर्ष की प्रकृति दोस्तों संघर्ष में द्वन्दियों का पूरा ज्ञान होता है। उद्देश्य व लक्ष्य प्राप्त करने के साथ-साथ विरोधी का दमन भी करना होता है। शक्ति का अधिकाधिक उपयोग होता है। संवेग (क्रोध) तेज होते हैं। सतर्कता अधिक होती है। स्थितियों का सूक्ष्म से सूक्ष्म विश्लेषण होता है। व्यक्ति प्रधान होता है। लक्ष्य विरोधी की ओर अग्रसित होते हैं। नियम व कानूनों का उल्लघन होता है।

दुःख और सुख क्या है?

नमस्कार दोस्तों आपका हमारे blog में स्वागत है। दोस्तों आज हम एक आलेख लिखने जा रहे हैं ,आप उसको बहुत ध्यान से पढ़िए।  दुःख और सुख क्या है?  दोस्तों जो मिल गया वह सुख और जो नहीं मिला वह दुःख।  कहने को सुख और दुःख तीन  तरह के मनोभाव है, धन का, तन का, मन का।  परन्तु कभी कभी बुद्धि और अध्यात्म थोड़ी दूर के रिश्तेदार है सुख दुःख के।   मेरे प्यारे दोस्तों अपने देखा ही होगा कि ये दुनिया कभी भी  हमारे हिसाब से नहीं चल सकता यही सबसे बड़ा दुःख , जिसकी इच्छा हो वह मिल जाये, प्रेयसी का चेहरा दिख जाये , सबसे बड़ा सुख।  कहने को एक दूसरे के विपरीत मगर ख़ुशी मिल भी जाए तो क्षण भर में बहुत खुश और गम सालो साल तक सालता रहे।  दोस्तों सुख हो सभी के साथ आता है कभी किसी को दुःख पहले और कभी सुख कभी पहले।  अब उनको कौन समझाए की सुख ढूंढना पड़ता है, दोस्तों सुख अपने पास ही रहता बस अपने अपने नजरिये की बात है। दोस्तों मान लो कि तुम्हारा बेटा या बेटी खो गए है और खोजने से मिल नहीं रहे बहुत  घण्टे से, अब इस समय आपके  दिमाग में  तरह तरह के प्रश्न चल रहे होंगे, तुम परेशान  हो गए हो , तो ये दुःख है मेरे दोस्तों और फिर वो ढ