Skip to main content

सफलता और जलन


दोस्तों आज मै एक लिख लिख रहा हूँ ,जो मैंने जिंदगी में अनुभव किये हैं , शायद आपको पसंद आये। 

"सफलता और जलन" 

Welcome to सफलता और जलन


दोस्तों व्यक्ति जैसे - जैसे सफल होता जाता है अकेला होता जाता है।  जितने सफल व्यक्ति हुए हैं उन्होंने अपनों के बीच बेगानापन महसूस किया है।  ये जलने वाले उसके अपने होते हैं।  इर्ष्या तब है जब आप वो चाहते हैं जो दूसरों के पास है। जलन तब है जब आप चाहते हैं कि वो उनके पास भी न हो। 

अगर कोई सफल होता है तो आपको खुश होना चाहिए। अगर वो कर सकता है तो आप भी कर सकते हैं।  किसी और की सफलता आपके सफल होने के मौकों को कम नहीं करती।  बल्कि वो आपको प्रेरणा देती है कि आप भी वहां पहुँच सकते हैं। 

 जो दूसरे की ख़ुशी व् सफलता न देख पाने की विकलांगता से ग्रस्त होते हैं।  जलन दूसरे के लिए तकलीफ दायक हो सकती है पर आपके अन्दर ये एक तूफान मचा देती है। 

दोस्तों मैंने ऊपर जो लिखा है शायद आपको पसंद आये।

अब मै सफलता कैसे प्राप्त हो उसके बारे में लिखने की कोशिस कर रहा हूँ:

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं , हमारा जीवन, हमारा करियर भी जीवन रूपी सिक्के के दो पहलू सकारत्मक विचार और नकारत्मक विचार के इर्द गिर्द घूमता है और जो विचार हावी होते हैं हमारा जीवन वैसा ही होता चला जाता है।  जीवन विचारों का ही खेल है  जीवन जीने और सफलता पाने के लिए हमें विचारों को समझने तथा उनके अनुरूप काम करने तथा नहीं करने की कला में पारंगत होना अतिआवश्यक है अगर आप ऐसा करने में सफल नहीं हो पाते हैं तो नकारात्मक भावनाएं आपके अन्दर आ जाती हैं। 

दोस्तों अगर आपके मन में ऐसे विचार आते हों कि, मैं बहुत स्मार्ट नहीं हूँ, मुझे अंग्रेजी नहीं आती, मैंने जो सब्जेक्ट लिए हैं उनपर मेरी उतनी पकड़ नहीं है, तो कहीं न कहीं ऐसे विचार आपके व्यक्तित्व विकास में बाधक होते हैं अतः यदि ऐसे विचार आपके मन में आते हैं तो उसकी तह तक जाने की कोशिश करें,  अगर आपको ऐसा लगता है कि मै यह काम नहीं कर सकता तो इसे ईमानदारीपूर्वक स्वीकार कीजिये और किसी दूसरे दिशा में प्रयास कीजिये  उस कार्य से जुड़े नकारात्मक ख्याल स्वतः ही समाप्त हो जायेंगे।

दोस्तों मस्तिष्क में सकारात्मक विचारों का आना भी उतना ही स्वाभाविक है जितना कि आशा के अनुकूल परिणाम नहीं आने पर नकारात्मक विचारों का आना  अतः ज्यों ही आपको ऐसा लगे कि मेरे दिमाग में बुरे ख्याल आ रहें हैं उनकी जगह अच्छे ख्याल लाना शुरू कर दें  प्रारंभिक अवस्था में यह थोड़ा मुश्किल होगा लेकिन निरंतर अभ्यास करने से आप इसमें बहुत जल्द ही मास्टरी हासिल कर लेंगे  ऐसी बात नहीं है कि आगे आपके मन में नकारात्मक विचार नहीं आयेंगे।  

हर किसी के जीवन में कठिन परिस्थितियां आती हैं और उन परिस्थितियों का सामना हमें डंटकर करना चाहिए इसके लिए हमें अगर किसी की मदद भी लेनी पड़े तो हमें संकोच नहीं करना चाहिए।  समाज में हर काम हम अकेले नहीं कर सकते  एक दूसरे के परस्पर सहयोग से ही समाज और जिन्दगी सुचारू रूप से चलती है। 

हमारा पिछला समय बीत चूका है  हम चाहकर भी पुनः उस पल को नहीं जी सकते हैं भविष्य में क्या होगा यह पूरी तरह आपके आज पर निर्भर करता है  अतः भविष्य की चिंता कर अपना वर्तमान कभी भी नष्ट नहीं करें एक कॉलेज छात्र के रूप में अगर आपने समुचित अध्ययन नहीं किया है तो अब उसकी चिंता मत करें,  अब आप आज से ही अपने मिशन पर लग जाएं तो अवश्य ही आप अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे  अगर आप ऐसा सोचते रहें कि मैंने तो पहले मेहनत नहीं किया अब क्या हो सकता है ? इससे आपका भविष्य भी प्रभावित होगा।  अतः वर्तमान में रहते हुए अपने कर्तब्यों का पालन कर अपने करियर के लक्ष्यों को हासिल करने की कोशिश करें। 

दोस्तों मेरा मानना है की यदि आप सफलता चाहते हैं तो इसे अपना लक्ष्य ना बनाइये, सिर्फ वो करिए जो करना आपको अच्छा लगता है और जिसमे आपको विश्वास है, और खुद-बखुद आपको सफलता मिलेगी।

सफलता का मतलब है वह इंसान बनने का साहस, दृढ़ता और इच्छाशक्ति होना जो इंसान बनने में आप यकीन करते हैं। हमेशा  याद रखो, तुम्हारे अन्दर वो ताकत, वो धैर्य और वो जूनून है कि तुम दुनिया को बदल सको।

अंत में बस यही कहूंगा की हमारा पूरा जीवन हमारे सही फेसलों पर टीका हुआ है , इसलिए कहा जाता है की सही चुनो ओर सफल बनो…

दोस्तों आपको हमारा लेख कैसा लगा, जरुर बतायें।

धन्यवाद 

Comments

Popular posts from this blog

आत्मसम्मान का महत्व

दोस्तों अपने अवचेतन मन की शक्ति का इस्तेमाल करके आप नकारात्मक और आत्म-सम्मान के आभाव से कैसे उभर सकते हैं। दोस्तों यदि आप तनावग्रस्त या चिंतित हैं कि कोई भी आपको कद्र नहीं करेगा, दूसरा तो केवल सलाह दे सकता है लेकिन दुःख का अनुभव तो सिर्फ तुम ही अनुभव कर सकते हो।  तो दोस्तों यह लेख मै इसी बात पर ही लिखने जा रहा हूँ, इस लेख में आपको बताऊंगा कि आप और सिर्फ आप ही अपनी प्रतिक्रियाओं, विचारों व भावनाओं के लिए उत्तरदायी हैं। आप सीखेंगे कि स्वयं से प्रेम कैसे करें, मानसिक शांति कैसे पाएँ, दूसरों के प्रभुत्व से छुटकारा कैसे पाएँ और सुखद, सफल जीवन कैसे जिएँ। दोस्तों आज का टॉपिक है  "आत्मसम्मान का महत्व" आत्म सम्मान क्या है: दोस्तों आत्म सम्मान का अर्थ है स्वयं का सम्मान करना स्वयं को समझना अपने आप पर गर्व करना। आत्म सम्मान हमेशा आत्म विश्वास के साथ आता है और खुद पर इतना विश्वास होना चाहिए की आप अपने महत्व को जान सके। खुद के महत्व को जानकर खुद का सम्मान करना ही आत्म सम्मान कहलाता है। जो व्यक्ति स्वयं का सम्मान करता है वो ही दुसरो से सम्मान पाता है। आत्म सम्मान वो है जहाँ आपको अपना नि

जैसा सोचोगे वैसा आप बन जाओगे

दोस्तों दुनिया में कुछ ही लोग सम्मान, ख़ुशी, दौलत, समृद्धि, और सफलता क्यों हासिल कर पाते हैं; जबकि अधिकतर लोग एक औसत जीवन ही जी पाते हैं? तो दोस्तों आज हम इसी टॉपिक पर आलेख लिखने जा रहे हैं।  जैसा सोचोगे वैसा आप बन जाओगे इसकी वजह क्या है? ऐसा क्यों होता है? शायद कुछ लोग यहाँ पर ये सवाल कर सकते है की ये बड़ी सोच क्या बला है? सच में..! लोगो के सोच में अंतर होता है। उनके शिक्षा, अनुभव, माहौल और जरूरते भले ही उनकी सोच पर प्रभाव डालता है, लेकिन फिर भी इन्सान की सोच का आकार अलग अलग होता है। हुनरमंद लोग जिन्होंने कमजोरियों को जीता,  बड़ी सोच वाले लोग बहुत कम क्यों है? हाँ, ये सच है, लोग सोचते ही नहीं! हमारे जीवन वही सब और उतना ही अच्छा (बुरा) होता है जिसकी हम जितनी अच्छी( बुरी) कल्पना कर सकते हैं। जो चीज हमारे अंदर (मन मे) विद्यमान है वही चीज बाहर दिखती है। हमारा मस्तिष्क इस ब्रह्मांड मस्तिष्क का एक छोटा सा भाग है और हम जो कल्पना करते है ब्रह्मांड की शक्तियां वो सब हमारे समक्ष रखने का प्रयास करती हैं। इसे कुछ लोगों ने " law of attraction" का नाम भी दिया है। हमारा मस्तिष्क हमेश

जिंदगी में अपनी तुलना किसी से मत करना |

दोस्तों दूसरों के साथ स्वयं की तुलना करना मनुष्य का सहज स्वभाव है। ना चाहते हुए भी अक्सर दूसरों के साथ उनकी तुलना करने के विचार मन में आ ही जाते हैं।  दोस्तों मैं तो स्वयं की कभी तुलना नही करता  ,क्योंकि तुलना का प्रभाव हमेशा ही गलत होता हैं।  अगर आप स्वयं को अच्छी स्थिति में देखना चाहते हो तो बस अपने क्षेत्र में प्रयास करते रहो ,अपना कर्म करो ,और आगे बढ़ते रहो । तुलना करना भी बेकार हैं क्योंकि यहां हर इंसान अलग हैं ,उसकी यात्रा अलग है,उसकी परिस्थितियाँ अलग हैं और तुलना तो केबल बराबर में ही हो सकती हैं।  दोस्तों इस दुनिया में कोई भी दो व्यक्ति या वस्तुएं एक समान नहीं हैं. प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक वस्तु अद्वितीय है. सृष्टि में जब कोई दो व्यक्ति एक से हैं ही नहीं तो फिर किसी से किसी की तुलना कैसे की जा सकती है. ऐसा बहुत बार हुआ है मेरे जीवन में कि मुझे मुझसे अधिक काबिल व्यक्ति मिले हैं।  मैं भी दूसरों के साथ स्वयं की तुलना करता हूं। यह एक स्वाभाविक वृत्ति है। परंतु इस वृत्ति का उपयोग मैं स्वयं को प्रेरित और उत्साह से ओतप्रोत करने के लिए करता हूं।    दोस्तों ज्यादातर लोग इसलिए दुखी नहीं