Skip to main content

सच बोलने से मिलते हैं सेहत और दिमाग को ये फायदे


दोस्तों हर किसी को हमेशा ये सोचना चाहिए , गलती चाहे किसी की भी हो पर रिश्ता तो अपना होता है, जो इंसान सबको ख़ुशी देता हो वो कभी कभी खुद ख़ुशी की वजह ढूँढता है

दिल वो है जो हज़ारों मरी हुई ख्वाइशों के नीचे दब कर भी धड़कता है


Welcome to सच बोलने से रिश्ते टूटते हैं


जो मन की तकलीफों को नहीं बता पता – उसे ही क्रोध सबसे अधिक आता है, सच बोलने से रिश्ते टूटते हैं और झूठ बोलने से मैं खुद

लोग अधिक पसंद करेंगे

दोस्तो जरा एक बार सोचो कि दो लोग हैं। जिनमे से एक सच बोलता है और दूसरा झूठ बोलता है। तो जाहिर सी बात है कि झूठ के कोई सर पैर तो होता नहीं है। इसलिए वह अपने झूठ को सच साबित नहीं कर सकता । जबकि सच बोलने वाला निश्चित होकर बोलता है। उसे किसी का कोई डर नहीं होता है और ‌‌‌वह पूरें आत्मविश्वास के साथ बोलता है। यही वजह है कि लोग उसे सबसे ज्यादा पसंद करते हैं।

‌‌‌2. उम्र बढ़ जाती है

यह सही बात है कि जब हम झूठ बोलते हैं तो हमारी उम्र कम हो जाती है क्योंकि झूठ हम बोल तो लेते हैं लेकिन झूठ बोलने मे वो मजा और वो शांति नहीं है जोकि सच बोलने मे हैं। यदि आपने कोई बड़ी बात किसी से छुपाली झूठ बोल दिया तो आपके मन मे हमेशा डर बना रहेगा कि कब यह बात ‌‌‌उसको पता न चल जाए । और इस तरह से आपको यह चिंता दिन बदिन खाए जाएगी । सोचो जो लोग 2 नम्बर का काम करते हैं वे पैसा तो खूब कमाते हैं लेकिन उनको वो शांति कभी भी नसीब नहीं होती है जो सड़के किनारे चलने वाले भिखारी को होती है। ‌‌‌और इस प्रकार की मानसिक चिंताओं की वजह से अनेक प्रकार के दिमागी बेमारियां हो जाती हैं और इनकी वजह से इंसान की उम्र पर भी गहरा असर पड़ता है।

‌‌‌3. मन शांत रहता है

याद रखें जब आप झूठ बोलते हैं तो दूसरों से बात को छुपा लेते हैं लेकिन खुद से कोई बात छुपाना संभव नहीं होता है। भले ही दुनिया का कोई बड़ा से बड़ा अपराधी रहा है। वह खुद बुरा इंसान है यह वह जानता है और उसका मन उसे हमेशा यह गलत काम छोड़देने के लिए कहता है। लेकिन आप जानते हैं ‌‌‌कि वह इस काम को आसानी से छोड़ नहीं सकता है। लेकिन उसका मन कभी भी शांत नहीं रहता है। उसमे हमेशा कुछ ना कुछ गड़बड चलती ही रहती है।‌‌‌यदि आप नहीं चाहते हैं कि आप टेंशन मे जिए आपका चैन सकून हैराम हो जाए तो आपको सच बोल देना चाहिए।

‌‌‌4. दिल को सकून मिलता है

कई बार क्या होता है कि हम बहुत सी बातों को छुपाते जाते हैं और हमारे दिमाग के अंदर इतनी सारी बातें एकत्रित हो जाती हैं कि बाद मे हमे लगता है कि यह सब बाते हमने अपने किसी दोस्त या करीबी से नहीं बताकर गलत किया है। लेकिन अब बताएं भी कैसे ?

इस तरह के विचार हमारे मन के ‌‌‌अंदर चलते रहते हैं और हम अंदर ही अंदर से दुखी होते रहते हैं। लेकिन यदि आप इस तरह की बातों को एक साथ अपने करीबी को बताने के बाद जो महसूस करोगे तो आपको अलग ही एहसास होगा । आपको ऐसा लगेगा । जैसे आपको उपर से वजन हट गया हो । कहने का अर्थ है सच्चा सकून सच मे ही है झूठ मे नहीं ।

‌‌‌5. अच्छा चरित्र बनता है

याद रखें जब बच्चा बचपन से ही झूठ बोलने लगता है तो जाहिर सी बात है वह गलत चीजों को सीखने लग जाता है। बात बात पर झूठ बोलना इस बात का ईशारा होता है कि बच्चा गलत दिसा के अंदर जा रहा है। झूठ आपको हमेशा गलत काम करना सीखाता है और सच आपको सही काम करना ‌‌‌करना सीखाता है । जो सच बोलता है वह कभी गलत बन ही सकता और जो झूठ बोलता है वह अच्छा कुछ कर नहीं सकता । सच बोलने वाले इंसान का चरित्र सच के जैसा ही होजाता है और झूठ बोलने वाले का चरित्र झूठ के जैसा ही बन जाता है।

‌‌‌6. खुशहाल जिदगी

दोस्तों यदि आप किसी से एक बात छुपाते हो तो आपको एक बात छुपाने के लिए कई सारे झूंठ बोलने पड़ते हैं। यह कई सारे झूठ आपको अंदर ही अंदर कचोटते हैं और आपकी जिंदगी नरक बन जाती है। मानलिजिए किसी पत्नी का कहीं ओर चक्कर चल रहा है तो वह अपने पति से यह सच छुपाने के लिए कई झूठ बोलती ‌‌‌है। और उसे यह डर सताता रहता है कि कहीं उसका झूठ पकड़ा नहीं जाए और एक उस औरत को देखें कैसे निश्चित रहती है जिसका कोई अफेयर नहीं है। उसे किसी प्रकार का भय नहीं रहता है जिसकी वजह से चैन से रहती है।

‌‌‌कहने का मतलब यही है कि आप झूठ बोलके अधिक समय तक खुश नहीं रह सकते

‌‌‌7. खुद ‌‌‌का इम्प्रुवमेंट

याद रखें यदि आप सच बोलते हैं इसका मतलब खुद को इम्प्रुव करते चले जाएंगे । जरा सोचिए । एक कलांश के अंदर दो प्रकार के दो स्टूडेंट हैं एक सच बोलने वाला और दूसरा झूंठ बोलने वाला । और टीचर ने उनदोनों से पूछा कि सवाल समझ मे आया कि नहीं ? सच बोलने वाला स्टूडेंट बोला नहीं और झूठ ‌‌‌बोलने वाला बोला आ गया । क्या आपको पता है सच बोलने वाला स्टूंडेट लाईफ के अंदर आगे बढ़ जाता है और झूठ बोलने वाला नहीं बढ़ पाता है।यह हर जगह पर होता है केवल स्टूडेंट लाईफ की हम बात नहीं कर रहे हैं

‌‌‌याद रखें जब आप सच बोलते हैं तो आपको पास दो ऑपसन होते हैं और जब आप झूठ बोलते हैं तो आपके पास सिर्फ एक ऑपसन होता है और वो होता है झूठ

‌‌‌अंतिम शब्द

फाईनली तौर पर हम आपको इतना ही कहना चाहते हैं कि सच और झूठ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और दोनों का बैलेंस होना आवश्यक है। यदि आप केवल सच बोलेंगे तो आपका नुकसान है और आप केवल झूठ बोलेंगे तो आपका नुकसान है। कहने का मतलब है जहां पर आवश्यक है झूठ बोलना वहां पर झूंठ बोले और जहां पर ‌‌‌झूंठ बोलने की कोई आवश्यकता ही नहीं है वहां झूठ न बोलें ।

दोस्तों उम्मीद करता हूँ कि यह article आपको पसंद आया होगा , please कमेंट के द्वारा feedback जरूर दे। आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझाओं का स्वागत है , अगर आप मेरे आर्टिकल को पसन्द करते है तो जरूर Follow करे ताकि आपको तुरंत मेरे आर्टिकल आपको मिल जाए। 

धन्यवाद 

Comments

Popular posts from this blog

आत्मसम्मान का महत्व

दोस्तों अपने अवचेतन मन की शक्ति का इस्तेमाल करके आप नकारात्मक और आत्म-सम्मान के आभाव से कैसे उभर सकते हैं। दोस्तों यदि आप तनावग्रस्त या चिंतित हैं कि कोई भी आपको कद्र नहीं करेगा, दूसरा तो केवल सलाह दे सकता है लेकिन दुःख का अनुभव तो सिर्फ तुम ही अनुभव कर सकते हो।  तो दोस्तों यह लेख मै इसी बात पर ही लिखने जा रहा हूँ, इस लेख में आपको बताऊंगा कि आप और सिर्फ आप ही अपनी प्रतिक्रियाओं, विचारों व भावनाओं के लिए उत्तरदायी हैं। आप सीखेंगे कि स्वयं से प्रेम कैसे करें, मानसिक शांति कैसे पाएँ, दूसरों के प्रभुत्व से छुटकारा कैसे पाएँ और सुखद, सफल जीवन कैसे जिएँ। दोस्तों आज का टॉपिक है  "आत्मसम्मान का महत्व" आत्म सम्मान क्या है: दोस्तों आत्म सम्मान का अर्थ है स्वयं का सम्मान करना स्वयं को समझना अपने आप पर गर्व करना। आत्म सम्मान हमेशा आत्म विश्वास के साथ आता है और खुद पर इतना विश्वास होना चाहिए की आप अपने महत्व को जान सके। खुद के महत्व को जानकर खुद का सम्मान करना ही आत्म सम्मान कहलाता है। जो व्यक्ति स्वयं का सम्मान करता है वो ही दुसरो से सम्मान पाता है। आत्म सम्मान वो है जहाँ आपको अपना नि

जैसा सोचोगे वैसा आप बन जाओगे

दोस्तों दुनिया में कुछ ही लोग सम्मान, ख़ुशी, दौलत, समृद्धि, और सफलता क्यों हासिल कर पाते हैं; जबकि अधिकतर लोग एक औसत जीवन ही जी पाते हैं? तो दोस्तों आज हम इसी टॉपिक पर आलेख लिखने जा रहे हैं।  जैसा सोचोगे वैसा आप बन जाओगे इसकी वजह क्या है? ऐसा क्यों होता है? शायद कुछ लोग यहाँ पर ये सवाल कर सकते है की ये बड़ी सोच क्या बला है? सच में..! लोगो के सोच में अंतर होता है। उनके शिक्षा, अनुभव, माहौल और जरूरते भले ही उनकी सोच पर प्रभाव डालता है, लेकिन फिर भी इन्सान की सोच का आकार अलग अलग होता है। हुनरमंद लोग जिन्होंने कमजोरियों को जीता,  बड़ी सोच वाले लोग बहुत कम क्यों है? हाँ, ये सच है, लोग सोचते ही नहीं! हमारे जीवन वही सब और उतना ही अच्छा (बुरा) होता है जिसकी हम जितनी अच्छी( बुरी) कल्पना कर सकते हैं। जो चीज हमारे अंदर (मन मे) विद्यमान है वही चीज बाहर दिखती है। हमारा मस्तिष्क इस ब्रह्मांड मस्तिष्क का एक छोटा सा भाग है और हम जो कल्पना करते है ब्रह्मांड की शक्तियां वो सब हमारे समक्ष रखने का प्रयास करती हैं। इसे कुछ लोगों ने " law of attraction" का नाम भी दिया है। हमारा मस्तिष्क हमेश

जिंदगी में अपनी तुलना किसी से मत करना |

दोस्तों दूसरों के साथ स्वयं की तुलना करना मनुष्य का सहज स्वभाव है। ना चाहते हुए भी अक्सर दूसरों के साथ उनकी तुलना करने के विचार मन में आ ही जाते हैं।  दोस्तों मैं तो स्वयं की कभी तुलना नही करता  ,क्योंकि तुलना का प्रभाव हमेशा ही गलत होता हैं।  अगर आप स्वयं को अच्छी स्थिति में देखना चाहते हो तो बस अपने क्षेत्र में प्रयास करते रहो ,अपना कर्म करो ,और आगे बढ़ते रहो । तुलना करना भी बेकार हैं क्योंकि यहां हर इंसान अलग हैं ,उसकी यात्रा अलग है,उसकी परिस्थितियाँ अलग हैं और तुलना तो केबल बराबर में ही हो सकती हैं।  दोस्तों इस दुनिया में कोई भी दो व्यक्ति या वस्तुएं एक समान नहीं हैं. प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक वस्तु अद्वितीय है. सृष्टि में जब कोई दो व्यक्ति एक से हैं ही नहीं तो फिर किसी से किसी की तुलना कैसे की जा सकती है. ऐसा बहुत बार हुआ है मेरे जीवन में कि मुझे मुझसे अधिक काबिल व्यक्ति मिले हैं।  मैं भी दूसरों के साथ स्वयं की तुलना करता हूं। यह एक स्वाभाविक वृत्ति है। परंतु इस वृत्ति का उपयोग मैं स्वयं को प्रेरित और उत्साह से ओतप्रोत करने के लिए करता हूं।    दोस्तों ज्यादातर लोग इसलिए दुखी नहीं