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कुछ रिश्तों में इंसान अच्छा लगता है और कुछ इंसानों से रिश्ता अच्छा लगता है।


दोस्तों जब आप किसी के साथ प्यार में पड़ती हैं या फिर आप किसी के साथ एक रिश्ते में जुड़ती हैं तो उस समय सब कुछ नया होता है। आपको वह इंसान दुनिया का सबसे अच्छा इंसान लगता है और आप उस समय एक कल्पना की दुनिया में जीती हैं। लेकिन जरूरी नहीं है कि चीजें जैसी आज हैं, वैसी ही आने वाले समय में भी रहें। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि आप कोई भी कदम बेहद सोच-समझकर बढ़ाएं। आप ऐसे व्यक्ति के साथ अपनी जिन्दगी का सफर शुरू करें, जो आपका साथ ताउम्र दे और आपको यूं ही हमेशा प्यार व सम्मान देता रहे। 

Welcome to कुछ रिश्तों में इंसान अच्छा लगता है और कुछ इंसानों से रिश्ता अच्छा लगता है।

यकीनन रिश्ते की शुरूआत में हम सभी यही सपने देखती हैं कि पार्टनर के साथ हमारा रिश्ता हमेशा ऐसा ही खिलता-मुस्कुराता रहेगा, लेकिन ऐसा सच में हो भी, यह जरूरी नहीं है। इसके लिए आपको कुछ संकेतों को समझने की जरूरत होती है। आप चाहे माने या ना मानें, लेकिन आपको रिश्ते की शुरूआत में ही कुछ ऐसे संकेत नजर आते हैं, जो यह बताते हैं कि आपके पार्टनर से आपका रिश्ता कैसा रहेगा।


अक्सर देखा जाता है कि रिश्ते की शुरूआत में दोनों ही व्यक्ति एक-दूसरे के सामने सिर्फ अपनी अच्छाईयों को ही रखना चाहते हैं और वह ऐसी कोई बात या अपनी कोई आदत अपने पार्टनर को नहीं दिखाना चाहते, जिससे उनके पार्टनर की धारणा बदले। लेकिन अगर आप दोनों ही एक-दूसरे के साथ कंफर्टेबल महसूस करते हैं और अपनी कोई भी आदत या बात कहने में हिचकिचाते नहीं हैं तो इसका अर्थ है कि आपका रिश्ता धीरे-धीरे मजबूत बन रहा है।


अक्सर ऐसा होता है कि कपल्स भूल जाते हैं कि वह भले ही दो अलग-अलग इंसान हैं, लेकिन एक रिश्ते ने उन्हें बांधा हुआ है। ऐसे में वह सिर्फ अपने करियर, अपनी सफलता और अपनी खुशियों के बारे में ही सोचने लग जाते हैं। लेकिन अगर आप दोनों शुरू से ही एक-दूसरी की खुशी या सफलता को सेलिब्रेट करते हैं और अपने पार्टनर की खुशी के लिए कुछ हद तक समझौता करने के लिए भी तैयार हो जाते हैं तो यह भी एक अच्छा संकेत है।


कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति गलत होने के बावजूद भी अपने पार्टनर के सामने खुद को छोटा नहीं दिखाना चाहता या फिर रिश्ते को बनाए रखने के लिए हमेशा एक ही इंसान माफी मांगता है, तो इसका अर्थ है कि आपका रिश्ता लंबे समय तक नहीं टिकेगा। वहीं, अगर दोनों में से किसी की भी गलती हो और वह व्यक्ति माफी मांगकर उस गलती को ना दोहराए तो आप ऐसे इंसान के साथ अपना भविष्य देख सकती हैं।


अगर आप दोनों ही good listener हैं तो इसका अर्थ है कि आपका रिश्ता कभी भी नहीं टूटेगा। लेकिन अगर आप दोनों में से कोई भी एक व्यक्ति हमेशा सिर्फ अपनी ही बात कहना चाहता है और सामने वाले की सुनने के लिए तैयार नहीं है तो समझ लीजिए कि आने वाले समय में आपके बीच झगड़े काफी अधिक बढ़ सकते हैं।


अगर आपके बीच बहस होती है तो इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि आप अच्छे कपल नहीं हैं या आपके बीच प्यार नहीं है। लेकिन लड़ाई के दौरान अगर पार्टनर सारा दोष आप पर ही देता है या अपनी गलती नहीं मानता या फिर वह आपको उन बातों को लेकर ताने देता है, जो आपके दिल को दुखाती हैं तो इसका अर्थ है कि वह कभी भी आपकी फीलिंग्स को नहीं समझ पाएगा। ऐसे व्यक्ति से दूर हो जाना ही अच्छा है।


ये अपने हालात और सोच पर निर्भर करता है। हर रिश्ता में कही न कही स्वार्थ है। शब्दो को गहराई से समझने की कोशिश करें अन्यथा न ले। रिश्ता क्यो जुड़ता है, साथ चलने के लिए हर परिस्थितियों में साथ देने के लिए। तो ये क्या है स्वार्थ है, जैसे एक पत्नी को अपने पति से बहुत ही उम्मीद रहता है, वो अपने पति पर आश्रित रहती है। ठीक उसी प्रकार हर रिश्ता स्वार्थपूर्ण जुड़े हैं। पति अगर पत्नी की हर इच्छापूर्ति करता है तो वो सही है, किसी कारणवश न पूरा हो या समय न दे पाता हो तो बेकार है, उसे रिस्तो की अहमियत नहीं है। एक माँ बाप को अपने बेटा से स्वार्थ है कि वो बुढ़ापे का सहारा बने। भले वो ना बने अलग बात है। तभी तो हर कोई आज बेटा चाहता है बेटी नहीं क्योकि सोचता है, बेटी क्या होगी भाई, पाल पोषण करके बड़ा करो और दूसरे के घर वक्त आने पर चली जायेगी। तो ये स्वार्थ ही सोचने पर मजबूर करता है, संतान में बेटा चाहिए क्योंकि वो बड़ा होकर साथ रहेगा, बुढापे का सहारा बनेगा भले ही वक्त पर बेटा रोटी भी दे पावे की ना क्या भरोसा।


आधुनिक परिवेश में आजकल जितने भी रिश्ते हैं, सब किसी न किसी स्वार्थ से आपस में जुड़े हुए हैं। हर रिश्ते लगभग तभी सफल हो पाते हैं, जब वह सामने वाले रिश्तो से कोई कारणों से जुड़े हुए रहते हैं। अक्सर आप लोगों ने देखा होगा जब कोई कमजोर पक्ष अपने रिश्तेदार के यहाँ जाते हैं, तो वह रिश्तेदार अगर अच्छे स्वभाव के होते हैं तो वह कमजोर स्थिति वाले इंसान की उनकी आर्थिक स्थिति देखकर उनकी मदद कर देते हैं। इसका यह मतलब नहीं हुआ कि कमजोर पक्ष स्वार्थी हैं, तभी वह उनके पास गए हैं। बल्कि इसका यह मतलब हुआ कि जो कमजोर वर्ग पर प्रभुत्व स्थापित वाले सामान्य पक्ष द्वारा वह अपने एहसान दिखाने के लिए एवं दिखावा के लिए वह अपने रिश्तेदार पर एहसान जैसा कार्य करते हैं। जिससे कभी न कभी वह 10 लोगों को बता कर अपनी वाहवाही लूटता है यह सभी जगह होता है। इसलिए मैंने एक ऐसी सटीक परिभाषा दी है जिससे आपको रिश्तो में महज एक दिखावा नजर आ ही जाएगा।


दोस्तों इंसान कहीं ना कहीं मतलबी तो होता ही है। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा रिश्ता हो जिसमें स्वार्थ ना छुपा हो।
ये अपने हालात और सोच पर निर्भर करता है। हर रिश्ता में कहीं न कहीं स्वार्थ है। शब्दो की गहराई को समझें, इसे गलत तरीके से ना लें। रिश्ता क्यो जुड़ता है, साथ चलने के लिए हर परिस्थिती में साथ देने के लिए। तो ये क्या स्वार्थ नहीं है, जैसे एक पत्नी को अपने पति से बहुत सी उम्मीदें रहती हैं, वो अपने पति पर आश्रित रहती है। ठीक उसी प्रकार हर रिश्ता स्वार्थपूर्ण जुडा़ है। पति अगर पत्नी की हर इच्छापूर्ति करता है तो वो सही है, किसी कारणवश न पूरा हो या समय न दे पाता हो तो बेकार है, उसे रिस्तो की अहमियत नहीं है। एक माँ बाप को अपने बेटा से स्वार्थ है कि वो बुढ़ापे का सहारा बने। भले वो ना बने अलग बात है। तभी तो हर कोई आज बेटा चाहता है बेटी नहीं क्योकि सोचता है, बेटी क्या होगी भाई, पाल पोषण करके बड़ा करो और दूसरे के घर वक्त आने पर चली जायेगी। तो ये स्वार्थ ही सोचने पर मजबूर करता है, संतान में बेटा चाहिए क्योंकि वो बड़ा होकर साथ रहेगा, बुढापे का सहारा बनेगा। भले ही वक्त पर बेटा रोटी भी दे या नहीं क्या भरोसा?


बिल्कुल, मेरा अपना व्यक्तिगत अनुभव तो यही कहता है कि आजकल के रिश्ते महज दिखावा ही हैं। हर मानव कई कई चेहरा लगा कर चल रहे हैं। ये पहचान पाना बहुत ही मुश्किल हो गया है कि कौन असली है, कौन नकली। ज्यादतर लोग ऐसे हैं जो सामने आने पर तो बहुत मीठी मीठी बातें करते हैं पर पीठ पीछे बुराई ही करते हैं। जलन तो आजकल आम बात हो गयी है। पूरी दुनिया ही स्वार्थी हो गयी है। आज की तारीख में कोई ऐसा रिश्ता नहीं जो स्वार्थरहित हो।

रिश्तों में सबसे ज्यादा कड़वाहट भाइयों के बीच देखने को मिल रहा है। एक जमाना था जब भगवान राम को अकेले जंगल में जाते लक्ष्मण देख नहीं सकते थे और एक आज का जमाना है जिसमें भाई ही भाई का गर्दन काटने पर तुला रहता है।
अक्सर देखा गया है कि जबतक शादी विवाह नहीं हुआ रहता तबतक तो भाइयों में प्रेम रहता है पर जैसे ही शादी हुई रिश्तों में खटास आनी शुरू हो जाती है पता नहीं क्योँ ?


हाँ ऐसा कहा जा सकता है कि आजकल ज्यादातर रिश्ते सिर्फ दिखावे के लिए होते हैं। ऐसे बहुत कम रिश्ते देखने मिलते हैं जिसमे में दिल का रिश्ता हो।
ज्यादातर रिश्तो में आजकल प्यार की जगह मतलब होता है मतलब के लिए रिश्ते बनाए जाते हैं मतलब के लिए रिश्ते रखे जाते हैं और मतलब खत्म होते ही रिश्तो का मायना बदल दिया जाता है, यह आज की सच्चाई है।

जिन रिश्तो की अहमियत है जिन्हें रिश्तो से धोखा मिलने पर दुख का एहसास होता है ऐसे लोगों को बहुत सचेत रहने की जरूरत है ऐसे लोगों को अपने जीवन में रिश्ते बनाने से पहले 10 बार सोचने की जरूरत है ताकि आगे चलकर दिल ना दुखे।
कहते हैं बाजार से जब भी कोई वस्तु खरीदी सोच समझकर जांच परख कर खरीदें आजकल रिश्तो को भी वस्तु की तरह ही नाप तोल करना चाहिए।
नाप तोल में खरे उतरे रिश्ते स्वार्थ काम पर से ज्यादा हो ऐसे रिश्तो को ही अपने जीवन में महत्व देना चाहिए बाकी स्वार्थ से बने रिश्तो से दूरी बना लेना चाहिए जिससे हम भविष्य में होने वाली तकलीफ से बच सकते हैं।


रिश्ता इतना पवित्र शब्द है पर मनुष्य के जीवन से जुड़े हुए ऐसे शब्दों के साथ केवल "दिखावा "शब्द को जोड़ देने से इस की गरिमा को ठेस पहुंचाता है।
रिश्तो में इंसानों के बीच प्रेम, समझ, आपसी सहयोग, मदद इत्यादि भावनाओं का विकास करने के साथ-साथ जीवन जीने की प्रेरणा भी देता है।
कुछ लोगों के द्वारा रिश्तो का दुरुपयोग अपने स्वार्थ के लिए किया जाता है यह बात भी बिल्कुल सही है, इसमें कोई दोहरा नहीं है।


जरूरी नहीं है कि हर रिश्ता इतना ही अच्छा हो, जितना कि आप उस रिश्ते को महसूस कर रहे हो।
हो सकता है सामने वाला व्यक्ति रिश्ते मे जो लाभ है उन्हे प्राप्त करने के उद्देश्य से रिश्ते निभा रहा हो, और यह देखा भी जा रहा है कि बहुत सारे रिश्ते चाहे वह दोस्ती हो, प्यार हो, सभी में लोग आजकल हर चेहरे के पीछे एक चेहरा लगाकर रखते हैं और समय आने पर ही व्यक्ति को इसका एहसास होता है।
रिश्तो का दिखावा करने वाले लोग यह जान ले, कि वे दिखावा कर सकते हैं लेकिन रिश्ता निभाने वाले लोग फिर भी उनका रिश्ता निभाते रहते हैं। क्योंकि वे जीवन में रिश्ते की कदर जानते हैं।


दिखावा तो आजकल सब जगह हो रहा है। किसी रिश्ते में सच्चाई रही नहीं। कुछ लोग रिश्ते अपनी नाक बचने के लिए निभा रहे हैं, कुछ शर्म से तो कुछ दुनिया के डर से। देखा जाये तो जैसे-जैसे हम विकास की ओर बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे रिश्ते पीछे छूट रहे हैं। दुनिया की भीड़ में रिश्ते गुम होते जा रहे हैं।
हाँ, निभाने वाले भी बहुत हैं इस दुनिया में। उन्ही की वजह से रिश्तों की बुनियाद कायम है। मैं किसी रिश्ते का नाम नहीं लूंगा क्यूंकि इस पर कई सवाल खड़े हो सकते हैं। हमे तो कोशिश करनी चाहिए कि जो भी रिश्ता हों, दिल से बने। दिमाग से रिश्ते नहीं चलते हैं।


बिल्कुल हम यह कह सकते हैं कि आजकल रिश्ते महज़ एक दिखावा होकर रह गए हैं। हम देख सकते हैं कि अगर मदर्स डे हैं तो हम माँ के साथ समय बिताने की वजह, माँ के साथ सेल्फी पोस्ट कर उस दिन को मनाते हैं। इसी तरह फिर चाहे फादर्स डे हो या रक्षाबंधन, हम सेल्फी डालकर दिखावा कर उसमें खुश होते हैं। जबकि सच्ची खुशी तो अपनों के साथ समय बिताने से मिलती हैं।
आजकल रिश्ते महज़ एक दिखावा हैं कुछेक अपेक्षाओं को छोड़ कर। आपके मित्र आपके साथ क्या तब मित्रता रखेंगे जब आप उनके मुक़ाबले थोड़ा कम कमाते होंगे? कभी न कभी यह फ़र्क़ आपके ऊपर असर करेगा। आपके रिश्तेदार अक्सर आपको आपकी नाकामयाबी का मज़ाक उड़ाते मिलेंगे। जिस प्रेमी/प्रेमिका के संग आप आज ही शाम पार्क में मिल के आए हैं क्या वो आपके साथ हर सुख दुख में रहने का दम रखता है? इस दुनिया के हर रिश्ते को हमने आज़माया है, तब जाकर पैसो से रिश्ता बनाया है। याद रखिये, दुनिया में ऐसा कोई रिश्ता नहीं जो पैसों के पाटों तले पिस्ता नहीं।

"कसमे वादे प्यार वफा सब बाते है बातो का क्या..
कोई किसी का नहीं ये झूठे नाते है नातो का क्या..। ।


कहना तो मैं बहुत कुछ चाहता हूँ, पर कभी अल्फ़ाज़ कम पड़ जाते हैं तो कभी ज़रुरत।

ये काफ़ी अच्छा अनुभव है, कि मैं खुद को अपने शब्दों के माध्यम से व्यक्त कर पा रहा हूँ और मेरी ये कोशिश हमेशा रहेगी, कि मैं आप लोगों को कभी निराश ना करूँ।
अगर हम दूसरों के साथ अच्छा रिश्‍ता बनाए रखना चाहते हैं, तो हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि वे हमारे लिए क्या कर सकते हैं बल्कि यह कि हम उनके लिए क्या कर सकते हैं। अगर हम सिर्फ अपने बारे में सोचें तो इससे दूसरों के साथ हमारा रिश्‍ता बिगड़ सकता है। जैसे, अगर एक शादीशुदा व्यक्‍ति सिर्फ अपनी इच्छाएँ पूरी करने के बारे में सोचे, तो हो सकता है वह अपने साथी के साथ बेवफाई कर बैठे। इसके अलावा, कोई भी ऐसे व्यक्‍ति के साथ दोस्ती नहीं करना चाहेगा जो अपनी चीज़ों की या अपने ज्ञान की बड़ाई करता है। जैसे एक किताब बताती है, “जो इंसान सिर्फ अपने बारे में सोचता है, वह कई मुसीबतों में फँस जाता है।


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