दोस्तों LifeWithAshish में आपका स्वागत है। दोस्तों जीवन में पढाई बहुत जरुरत है, और उसके बाद बच्चे सोचते है कि ख्वाइशें बहुत हैं दिल में, घर अपना चलाने के लिए, कुछ करना पड़ेगा।
तो दोस्तों आप समझ गए होंगे कि मैं किस टॉपिक पर बात कर रहा हूं।

रुपए कमाने के लिए --
(1)
खाने में हजार नखरे करने वाले भी अब कुछ भी खा लेते हैं…
अपने रूम में किसी को…भी नहीं आने देने वाले…
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं...
घर को मिस करते हैं लेकिन…कहते हैं ‘बिल्कुल ठीक हूँ’…
सौ-सौ ख्वाहिश रखने वाले…अब कहते हैं ‘कुछ नहीं चाहिए,
पैसे कमाने की जरूरत में…वो घर से अजनबी बन जाते हैं
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं,
बना बनाया खाने वाले अब वो खाना खुद बनाते है,
माँ-बहन-बीवी का बनाया अब वो कहाँ खा पाते है।
कभी थके-हारे भूखे भी सो जाते हैं।
लड़के भी घर छोड़ जाते है,
मोहल्ले की गलियां, जाने-पहचाने रास्ते,
जहाँ दौड़ा करते थे अपनों के वास्ते,
माँ बाप यार दोस्त सब पीछे छूट जाते हैं
तन्हाई में करके याद, लड़के भी आँसू बहाते है
लड़के भी घर छोड़ जाते हैं,
नई नवेली दुल्हन, जान से प्यारे बहिन- भाई,
छोटे-छोटे बच्चे, चाचा-चाची, खाला - फूफ़ी
सब छुड़ा देती है साहब, ये रोटी, कमाई और पढ़ाई
मत पूछो इनका दर्द वो कैसे छुपाते हैं,
(2)
अपने रूम में किसी को…भी नहीं आने देने वाले…
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं...
घर को मिस करते हैं लेकिन…कहते हैं ‘बिल्कुल ठीक हूँ’…
सौ-सौ ख्वाहिश रखने वाले…अब कहते हैं ‘कुछ नहीं चाहिए,
पैसे कमाने की जरूरत में…वो घर से अजनबी बन जाते हैं
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं,
बना बनाया खाने वाले अब वो खाना खुद बनाते है,
माँ-बहन-बीवी का बनाया अब वो कहाँ खा पाते है।
कभी थके-हारे भूखे भी सो जाते हैं।
लड़के भी घर छोड़ जाते है,
मोहल्ले की गलियां, जाने-पहचाने रास्ते,
जहाँ दौड़ा करते थे अपनों के वास्ते,
माँ बाप यार दोस्त सब पीछे छूट जाते हैं
तन्हाई में करके याद, लड़के भी आँसू बहाते है
लड़के भी घर छोड़ जाते हैं,
नई नवेली दुल्हन, जान से प्यारे बहिन- भाई,
छोटे-छोटे बच्चे, चाचा-चाची, खाला - फूफ़ी
सब छुड़ा देती है साहब, ये रोटी, कमाई और पढ़ाई
मत पूछो इनका दर्द वो कैसे छुपाते हैं,
(2)
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
दुनिया की भीड़ में खो जाते हैं
अलमारी के ऊपर धूल खाता गिटार छोड़ कर
जिम के सामान और बाकी मेज़ पर पड़ीकिताबे , पेन और पेन्सिल बिखेर कर, बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
दुनिया की भीड़ में खो जाते हैं मुझे ये colour /style पसंद नहीं कह कर brand new शर्ट अलमारी में छोड़ कर
Graduation ceremony का सूट, जस का तस
सब बेकार हम समेटे हैं, उनको परवाह नहीं
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
दुनियां की भीड़ में खो जाते हैं
जिस तकिये के बिना नींद नहीं आती थी
वो अब कहीं भी सो जाते हैं
अपने room के बारे में इतनेpossessive होने वाले
अब रूम share करने से नहीं हिचकिचाते
अपने career बनाने की ख्वाहिश में
बेटे भी माँ बाप से बिछड़ जाते हैं
दुनिया की भीड़ में खो जाते हैं
घर को मिस करते हैं, पर कहते नहीं
माँ बाप को ‘ठीक हूँ ‘कह कर झूठा दिलासा दिलाते हैं
जो हर चीज़ की ख्वाहिशमंद होते थे
अब ‘कुछ नहीं चाहिए’ की रट लगाये रहते हैं
जल्द से जल्द कमाऊ पूत बन जाने की हसरत में
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
दुनियां की भीड़ में खो जाते हैं

(3)
दुनिया की भीड़ में खो जाते हैं
अलमारी के ऊपर धूल खाता गिटार छोड़ कर
जिम के सामान और बाकी मेज़ पर पड़ीकिताबे , पेन और पेन्सिल बिखेर कर, बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
दुनिया की भीड़ में खो जाते हैं मुझे ये colour /style पसंद नहीं कह कर brand new शर्ट अलमारी में छोड़ कर
Graduation ceremony का सूट, जस का तस
सब बेकार हम समेटे हैं, उनको परवाह नहीं
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
दुनियां की भीड़ में खो जाते हैं
जिस तकिये के बिना नींद नहीं आती थी
वो अब कहीं भी सो जाते हैं
अपने room के बारे में इतनेpossessive होने वाले
अब रूम share करने से नहीं हिचकिचाते
अपने career बनाने की ख्वाहिश में
बेटे भी माँ बाप से बिछड़ जाते हैं
दुनिया की भीड़ में खो जाते हैं
घर को मिस करते हैं, पर कहते नहीं
माँ बाप को ‘ठीक हूँ ‘कह कर झूठा दिलासा दिलाते हैं
जो हर चीज़ की ख्वाहिशमंद होते थे
अब ‘कुछ नहीं चाहिए’ की रट लगाये रहते हैं
जल्द से जल्द कमाऊ पूत बन जाने की हसरत में
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
दुनियां की भीड़ में खो जाते हैं

(3)
बेटे भी आजकल विदा ही हो जाते हैं
जिस पर लिखा होता है एक फोन नंबर।
जल्दी जल्दी घर आने की एक दिलासा,
और सेट होते ही अपने पास बुला लेने का एक आशा।
वो कमरा अब अक्सर खाली रहता है
बस दीवारों पर चिपके तेंदुलकर और ब्रूस ली
आपस में बतिया लेते हैं कभी।
हिन्दी और इंग्लिश गानों की कैसेट्स
जिनसे चिढ़ कर माँ फेंक देने की धमकी देती थीं
आज भी बाकायदा साफ़ होती हैं कपड़े से।
घर में सालों से रखे हैं अब भी
स्टोर रूम में एक बैट और दो रैकेट।
आँगन में वो पुरानी बाइक आज भी एक पुरानी चादर से ढकी है
जिसे ज़िद करके कितनी दफा
मैकेनिक के पास भेजा गया था मॉडिफाइड करने।
डम्बल और लकड़ी की बेंच
आज भी माँ ने कबाड़ी को नहीं बेचे,
और छत के कड़े से चेन बाँध कर
शायद समय को आगे नहीं पीछे और पीछे अतीत में ले जाता है रोज़।
…बेटे भी तो विदा हो ही जाते हैं आजकल…
खाने में सौ नखरे करने वाले आज कुछ भी खा
लेते हैं
बना बनाया खाने वाले अब अपना खाना खुद बनाते
हैं..
अपने कमरे में किसी को न आने देने वाले
आज सबके साथ adjust करके सो जाते हैं,
आकर देखिए आज वो कहीं भी सो जाते हैं,
सो-सो ख्वाहिश रखने वाले अब कहते हैं। नहीं कुछ नहीं चाहिए..
कुछ चंद पैसे के चाह में यह घर से अंजाने हो
जाते हैं..
भाईसाब हम लड़के भी घर छोड़ जाते हैं,
मेहमानों के घर आने पर मां सबसे लाडले
बेटे को बुलाती थी,
पर अब खुद मेहमान बनकर घर जा पाते हैं..
जो कभी घर जाने से कतराते थे
आज देखिए वह हास्टल में अपना जीवन
बिताते हैं,
भाईसाब बेटे भी घर छोड़ जाते हैं..
मां बाप के सपने को पूरा करने के लिए एक
अंधेरी कोठरी मे अपना जीवन बिताते हैं,
Motivation का काम करके Motivational
बन जाते हैं,
भाईसाब हम भी घर छोड़ जाते हैं।
ऐसा नहीं है कि आप बिन दिन गुजरात
या रात नहीं होती
बस अधूरा सा लगता है जब आपसे बात नहीं होती

(4)
जिस पर लिखा होता है एक फोन नंबर।
जल्दी जल्दी घर आने की एक दिलासा,
और सेट होते ही अपने पास बुला लेने का एक आशा।
वो कमरा अब अक्सर खाली रहता है
बस दीवारों पर चिपके तेंदुलकर और ब्रूस ली
आपस में बतिया लेते हैं कभी।
हिन्दी और इंग्लिश गानों की कैसेट्स
जिनसे चिढ़ कर माँ फेंक देने की धमकी देती थीं
आज भी बाकायदा साफ़ होती हैं कपड़े से।
घर में सालों से रखे हैं अब भी
स्टोर रूम में एक बैट और दो रैकेट।
आँगन में वो पुरानी बाइक आज भी एक पुरानी चादर से ढकी है
जिसे ज़िद करके कितनी दफा
मैकेनिक के पास भेजा गया था मॉडिफाइड करने।
डम्बल और लकड़ी की बेंच
आज भी माँ ने कबाड़ी को नहीं बेचे,
और छत के कड़े से चेन बाँध कर
शायद समय को आगे नहीं पीछे और पीछे अतीत में ले जाता है रोज़।
…बेटे भी तो विदा हो ही जाते हैं आजकल…
खाने में सौ नखरे करने वाले आज कुछ भी खा
लेते हैं
बना बनाया खाने वाले अब अपना खाना खुद बनाते
हैं..
अपने कमरे में किसी को न आने देने वाले
आज सबके साथ adjust करके सो जाते हैं,
आकर देखिए आज वो कहीं भी सो जाते हैं,
सो-सो ख्वाहिश रखने वाले अब कहते हैं। नहीं कुछ नहीं चाहिए..
कुछ चंद पैसे के चाह में यह घर से अंजाने हो
जाते हैं..
भाईसाब हम लड़के भी घर छोड़ जाते हैं,
मेहमानों के घर आने पर मां सबसे लाडले
बेटे को बुलाती थी,
पर अब खुद मेहमान बनकर घर जा पाते हैं..
जो कभी घर जाने से कतराते थे
आज देखिए वह हास्टल में अपना जीवन
बिताते हैं,
भाईसाब बेटे भी घर छोड़ जाते हैं..
मां बाप के सपने को पूरा करने के लिए एक
अंधेरी कोठरी मे अपना जीवन बिताते हैं,
Motivation का काम करके Motivational
बन जाते हैं,
भाईसाब हम भी घर छोड़ जाते हैं।
ऐसा नहीं है कि आप बिन दिन गुजरात
या रात नहीं होती
बस अधूरा सा लगता है जब आपसे बात नहीं होती

(4)
जिन्हें तकिए बिन नींद ना थी आती
आकर कोई देखे अब कहीं भी अब सो जाते हैं!
सब्जी में मिर्च तेज है माँ
अब जैसा बन जाए खा लेते है!
अलग बिस्तर, अलग कमरा मिले तो नींद आये
अब एक बिस्तर पर 4-5 एडजस्ट हो जाते है!
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं.!!
घर तो जैसे नम आँखों में बसा है
पर जुबाँ कहती हैं ‘बिल्कुल ठीक हूँ ‘!
सौ-सौ ख्वाहिश रखने वालों को
अब ‘कुछ नहीं चाहिए ‘ कहते सुना है
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
बना बनाया मिलता था जिनको
वो खाना खुद बनाते है,.
माँ-बहन-बीवी का बनाया
अब वो कहाँ खा पाते है
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
मोहल्ले की गलियां,
जाने-पहचाने रास्ते,
जहाँ दौड़ा करते थे
अपनों के वास्ते,,,
माँ बाप यार दोस्त
सब पीछे छूट जाते हैं
तन्हाई में करके याद,
लड़के भी आँसू बहाते है.
सुनो! लड़के भी घर छोड़ जाते हैं!
नई नवेली दुल्हन,
जान से प्यारे बहिन- भाई,
छोटे-छोटे बच्चे,
चाचा-चाची, ताऊ-ताई ,
सब छुड़ा देती है साहब,
ये रोटी और कमाई।
मत पूछो इनका दर्द
वो कैसे छुपाते हैं,
बेटियाँ ही नही बेटे घर छोड़ जाते हैं! सुना ना! बेटे भी घर छोड़ जाते हैं

(5)
आकर कोई देखे अब कहीं भी अब सो जाते हैं!
सब्जी में मिर्च तेज है माँ
अब जैसा बन जाए खा लेते है!
अलग बिस्तर, अलग कमरा मिले तो नींद आये
अब एक बिस्तर पर 4-5 एडजस्ट हो जाते है!
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं.!!
घर तो जैसे नम आँखों में बसा है
पर जुबाँ कहती हैं ‘बिल्कुल ठीक हूँ ‘!
सौ-सौ ख्वाहिश रखने वालों को
अब ‘कुछ नहीं चाहिए ‘ कहते सुना है
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
बना बनाया मिलता था जिनको
वो खाना खुद बनाते है,.
माँ-बहन-बीवी का बनाया
अब वो कहाँ खा पाते है
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
मोहल्ले की गलियां,
जाने-पहचाने रास्ते,
जहाँ दौड़ा करते थे
अपनों के वास्ते,,,
माँ बाप यार दोस्त
सब पीछे छूट जाते हैं
तन्हाई में करके याद,
लड़के भी आँसू बहाते है.
सुनो! लड़के भी घर छोड़ जाते हैं!
नई नवेली दुल्हन,
जान से प्यारे बहिन- भाई,
छोटे-छोटे बच्चे,
चाचा-चाची, ताऊ-ताई ,
सब छुड़ा देती है साहब,
ये रोटी और कमाई।
मत पूछो इनका दर्द
वो कैसे छुपाते हैं,
बेटियाँ ही नही बेटे घर छोड़ जाते हैं! सुना ना! बेटे भी घर छोड़ जाते हैं

(5)
जो कभी अंधेरे से लड़ते थे
वह आज उजाले से डरने लगे है।
जो हमेशा अपने बहनों से लड़ते थे
वह आज चुप रहने लगे हैं।
खाने में भाई-बहन से लड़ने वाले
आज कुछ भी खा लेते है।
क्योंकि हम लड़के भी घर छोड़ जाते है।
अपने बिस्तर पर किसी को बैठने नहीं देने वाले
आज सबके साथ सो जाते हैं।
हजारों ख्वाहिशें रखने वाले
अब समझौता कर जाते है।
पैसा कमाने की चाहत में
अपनो से अजनबी हो जाते है।
क्योंकि हम बेटे भी घर छोड़ जाते है।
मम्मी के हाथों से खाने वाले
आज खुद जले पके बना कर खाते है।
माँ बहन के हाथों का खाना
अब वह कहाँ खा पाते है।
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं।
गाँव की सड़कें, वह हरे भरे खेत
दोस्त यार, माँ बाप, भाई बहन का प्यार
सब कहीं पीछे छूट जाते है।
क्योंकि हम बेटे भी घर छोड़ जाते है।
अक्सर तन्हाई में सबको कर के याद
वह भी आंसू बहाते है।
जिम्मेदारी की बोझ सबसे जुदा कर जाती है।
मत पूछो इनका दर्द वह कैसे जी पाते है।
क्योंकि बेटे भी घर छोड़ जाते है।
दोस्तों उम्मीद करता हूँ कि यह article आपको पसंद आया होगा , please कमेंट के द्वारा feedback जरूर दे। आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझाओं का स्वागत है , अगर आप मेरे आर्टिकल को पसन्द करते है तो जरूर Follow करे ताकि आपको तुरंत मेरे आर्टिकल आपको मिल जाए।
धन्यवाद
वह आज उजाले से डरने लगे है।
जो हमेशा अपने बहनों से लड़ते थे
वह आज चुप रहने लगे हैं।
खाने में भाई-बहन से लड़ने वाले
आज कुछ भी खा लेते है।
क्योंकि हम लड़के भी घर छोड़ जाते है।
अपने बिस्तर पर किसी को बैठने नहीं देने वाले
आज सबके साथ सो जाते हैं।
हजारों ख्वाहिशें रखने वाले
अब समझौता कर जाते है।
पैसा कमाने की चाहत में
अपनो से अजनबी हो जाते है।
क्योंकि हम बेटे भी घर छोड़ जाते है।
मम्मी के हाथों से खाने वाले
आज खुद जले पके बना कर खाते है।
माँ बहन के हाथों का खाना
अब वह कहाँ खा पाते है।
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं।
गाँव की सड़कें, वह हरे भरे खेत
दोस्त यार, माँ बाप, भाई बहन का प्यार
सब कहीं पीछे छूट जाते है।
क्योंकि हम बेटे भी घर छोड़ जाते है।
अक्सर तन्हाई में सबको कर के याद
वह भी आंसू बहाते है।
जिम्मेदारी की बोझ सबसे जुदा कर जाती है।
मत पूछो इनका दर्द वह कैसे जी पाते है।
क्योंकि बेटे भी घर छोड़ जाते है।
दोस्तों उम्मीद करता हूँ कि यह article आपको पसंद आया होगा , please कमेंट के द्वारा feedback जरूर दे। आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझाओं का स्वागत है , अगर आप मेरे आर्टिकल को पसन्द करते है तो जरूर Follow करे ताकि आपको तुरंत मेरे आर्टिकल आपको मिल जाए।
धन्यवाद
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