दोस्तों आज हम कुछ जीवन की problems को लिख रहा हूँ।
हालात:
आँखों में मंज़िल थी
गिरे फिर भी संभल गये
आँधियों में इतना दम था नहीं
चिराग तो हवाओं में भी जल गये
मैं क्यों डरूं कि ज़िन्दगी में क्या होगा
मैं क्यों सोचूं कि अच्छा-बुरा क्या होगा
आगे बढ़ता रहूँगा अपनी मंज़िल की ओर
अगर सफल नहीं हुए तो अनुभव ही होगा
या तो वक्त बदलना सीखो
या फिर बदलों वक्त के साथ
मज़बूरियों को कोसों मत
हर हालात में जीना सीखो
ज़मीन पर बैठा क्यों आसमान देखता है
अपने पंखों को खोल
ये ज़माना सिर्फ औऱ सिर्फ उड़ान देखता है
यूँ हीं नहीं मिलती राही को मंज़िल
एक जुनून सा दिल में जगाना होता हैं
पूछा चिड़िया से, कैसे बनाया आशियाना
तो बोली, भरनी पड़ती है उड़ान बार-बार
तिनका-तिनका उठाना होता है
सीढ़ियां तो उन्हें मुबारक
जिन्हें सिर्फ छत तक जाना है
मेरी मंज़िल तो आसमान हैं
और रास्ता मुझे खुद बनाना है
जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है
कभी हँसाती है कभी रुलाती है
पर जो हर हाल में खुश रहते हैं
जिंदगी उनके आगे सर झुकाती है
हर पल पे तेरा ही नाम होगा
तेरे हर कदम पे दुनिया का सलाम होगा
मुश्किलो का सामना हिम्मत से करना
देखना एक दिन वक़्त भी तेरा ग़ुलाम होगा
जिंदगी तो जिंदा दिल जिया करते हैं
मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं
मंजिले तो मिलती हैं
भटक कर ही सही
पर गुमराह तो वो हैं
जो घर से निकलते ही नहीं
मंजिले उन्ही को मिलती है
जिनके सपनो में जान होती है
पंखो से कुछ नहीं होता
उड़ान तो होसलों से होती है
काम करो ऐसा कि पहचान बन जाये
हर कदम ऐसे चलो कि निशान बन जाये
यहां जिंदगी तो सब काट लेते हैं
जिंदगी ऐसे जियो कि मिसाल बन जाये
रात नहीं ख़्वाब बदलता है
मंज़िल नहीं कारवाँ बदलता है
ज़ज़्बा रखो जीतने का क्योकि
किस्मत बदले न बदले
पर वक्त ज़रुर बदलता है
डर मुझे भी लगा था फासला देख कर
पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर
लेकिन खुद-ब-खुद मेरे करीब आती गई
मेरी मंजिल मेरा हौंसला देख कर
गम की अँधेरी रातो में
दिल को न बेकरार कर
सुबह जरूर आयेगी
सुबह का इंतजार कर
रास्ते में रुक के दम ले लूँ
ये मेरी आदत नहीं
लौट कर वापस चला जाऊ
ये मेरी फितरत नहीं
और कोई मिले न मिले
लेकिन मुझे रुकना नहीं
दोस्तों कुछ पाने के लिए आपको कुछ खोना पड़ेगा इसलिए खुद आपको अपने हालात बदलने होंगे कोई तुम्हारे लिए नहीं आएगा। खुद ही सब कुछ करना पडेगा।
अगर आपको सफलता पानी हैं तो आपको अपनी हालात पे रोना नहीं हैं बल्कि लड़ना हैं और आगे बढ़ते रहना हैं जब तक आप अपने कामयाबी के शिखर तक पहुंच नहीं जाते।
दोस्तों अगर सफलता पानी है दोस्त तो कभी हालात पे रोना नहीं मंजिल दूर ही सही पर घबराना मत दोस्तों क्योंकि नदी कभी नहीं पूछती कि समुन्दर अभी कितना दूर है!
रिश्तों से नाराज़गी होने के बाद, बहुत आसान है दूरियाँ बना लेना, मुश्किल है हालात समझ पाना..!!
जिन्दगी में इन्सान किसी चीज की सच्ची किंमत केवल दो ही हालातों में समझ पाता है, उसको पाने से पहले और उसको खोने के बाद।
दोस्तों अगर आपने किसी से प्यार सच्चा क्या है तो वो आपको जरूर मिलेगा लेकिन उस प्यार के चक्कर में आपको बहुत मुशीबतो का सामना करना पड़ेगा।
दोस्तों कहते है हर बात जुबां से, हम इशारा नहीं करते, आसमां पर चलने वाले जमीं से गुज़ारा नहीं करते हर हालात बदलने की हिम्मत है हम में, वक़्त का हर फैसला हम गँवारा नहीं करते..।।
दोस्तों हालात एक ऐसी बीमारी है जो अच्छे अच्छे लोग हार जाते हैं, समय कब किसी का बदल जाए ये कोई नहीं कह सकता है।
दोस्तों आज के समय में लगता है की हम बहुत परेशान है और सरे लोग खुश है लेकिंन ऐसा नहीं है वो भी लोग किसी न किसी कारण से परेशान ही होंगे.
दीवार का कैलेंडर तो बदलता है हर साल,ए-ख़ुदा अब के बरस हालात भी तो बदल दे।
हालात ने तोड़ दिया हमे कच्चे धागे की तरह, वरना हमारे वादे भी कभी ज़ंजीर हुआ करते थे।
हालात मेरे मुझसे ना मालूम कीजिये,
मुद्दत हुई मुझसे मेरा ही कोई वास्ता नहीं।
एक दिन तुम अपने आप से ज़रूर शिकवा करोगे वक़्त और हालात से नहीं, कि ज़िंदगी सामने थी और तुम दुनिया मैं उलझे रहे.!!
प्यार अगर सच्चा हो तो कभी नहीं बदलता.
न वक़्त के साथ न हालात के साथ.!!
ख्वाब हमारे टूटे तो हालात कुछ ऐसी थी.
आँखे पल पल रोती थीं किस्मत हँसती रहती थी.!!
वक़्त और हालात सदा बदलते रहते हैं लेकिन.
अच्छे रिश्ते और सच्चे दोस्त कभी नहीं बदलते.!!
कभी कभी हम "दिल" के "हालात" भी "लिखते" हैं...!!
हर वक़्त "वाह वाह' की "ख्वाहिश" नहीं होती...!!
(2) मजबूरी:
दोस्तों हर इन्सान यहा बिकता है कितना सस्ता या कितना महंगा ये उसकी मज़बूरी तय करती है!!
दोस्तों किसी की मजबूरियों पर मत हसियें,
कोई मजबूरियों खरीद कर नहीं लाता,
डर रखिये वक़्त की मार से,
बुरा वक़्त किसी को बता कर नहीं आता
दोस्तों बहुत खास होते है वो लोग
जो आपकी आवाज़ से ही आपकी
खुशी और दुख का अंदाजा लगा लेते हैं
दोस्तों जो जितना ऊंचा
उतना एकाकी होता है
हर भार को स्वयं ढोता है
चेहरे पर मुस्कानें चिपका
मन ही मन रोता है
दोस्तों जिंदगी मजबूरियो के सांचे मे ढलती रही,
उम्मीद सब हमारी इक खांचे मे डलती रही।
मेरे आंगन में भी धूप सुनहरी निकली मगर,
साथ मे बादलों की साजिशे भी चलती रही।
मेरी गलती की सजा मैं खुद को देता मगर,
ये जिंदगी हर दफा अपने बयान बदलती रही।
नाहक अपना समय गँवाया,
मैं यह खूब मानता हूँ।
स्वाद शून्य का चखना होगा,
मैं यह खूब जानता हूँ।।
तन्दरुस्ती के लिए खेलना,
सबको बहुत जरूरी है।
किन्तु परीक्षा की खातिर,
पढ़ना-लिखना मजबूरी है।।
जिस जीवन में हँसना था
वो आँसू पीकर मजबूत बना
पेट भरना होता क्या हैं
आज तक उसे मालूम नहीं
चैन की नींद सोना क्या हैं
आज तक उसने जाना नहीं
बचपन कहाँ खो गया
वो मासूम क्या बतायेगा
जीवन सड़क पर गुजर गया
वो याँदें क्या सुनाएगा
कभी तरस भरी आँखों से
वो दो वक्त की खाता हैं
कभी धिक्कार के धक्के से
वो भूखा ही सो जाता हैं
बाल मजदूरी पाप हैं
नियम तो बना दिया
ये उसके हीत में हैं ?
या जीवन कठिन बना दिया
जब आज खतरे में हैं
वो क्या भविष्य बनायेगा
जब पेट की भूख ही चिंता हैं
तो क्या वो पढ़ने जायेगा
बाल मजदूर, मजबूर हैं
नियम और सताता हैं
अगर देश का भविष्य बनाना हैं
तो इस मजबूरी को हटाना हैं
दोस्तों उम्मीद करता हूँ कि यह article आपको पसंद आया होगा , please कमेंट के द्वारा feedback जरूर दे। आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझाओं का स्वागत है , अगर आप मेरे आर्टिकल को पसन्द करते है तो जरूर Follow करे ताकि आपको तुरंत मेरे आर्टिकल आपको मिल जाए।
धन्यवाद
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